क्या SC / ST ACT का उलघंन करने पर विवेचक और जज पर भी कार्यवाही करने का प्रविधान है ?
Автор: Legal reviews
Загружено: 2023-06-05
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लखनऊ के एससी / एसटी एक्ट के विशेष न्यायाधीश ने एक्ट की धारा -
15 A (3) अभियुक्त को अंतरीम बेल देते समय पीड़ित को सुनवाई का अवसर ना देने,
धारा 15 A (10) के अंतर्गत कार्यवाही की विडियो रिकॉर्डिंग ना करने और दो साल तक समनिंग आदेश पत्रावली पर कार्यवाही न करने और उसे पुलिस को न भेजने, और इन आरोपों में अपने विरुद्ध दाखिल एससी एसटी एक्ट की धारा 4 के मुकदमें को खुद ही सुनवाई कर सीआरपीसी की धारा 479 का उल्लघंन करने के मामले की अपील पर हाईकोर्ट लखनऊ बेंच के विद्वान न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह ने एससी / एसटी एक्ट कोर्ट के विशेष न्यायाधीश नरेंद्र कुमार और लिपिक अर्जुन सिंह को 23 मई 2023 को नोटिस जारी कर तत्काल जवाब मांगा है मामले की सुनवाई एक हफ्ते में होगी ।
जानते हैं।मामला क्या है ?
अनुसूचित जाति के सामाजिक कार्यकर्ता हरपाल सिंह के साथ एक सवर्ण एडवोकेट ने राज्य सूचना आयुक्त कार्यालय परिसर लखनऊ में उनके 75 टुकड़े करने, गाली गलौज कर जान से मारने की धमकी देने की अपराधिक घटना को अंजाम दिया था , अपराधिक घटना मोबाइल में रिकॉर्डिंग हो गई थी हरपाल सिंह ने थाने से लेकर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सहित हर स्तर पर शिकायत की पर उनका मुकदमा नहीं लिखा गया । 14 माह बाद एससी /एसटी प्रकोष्ठ लखनऊ के आदेश पर जनपद गाजीपुर के पुलिस क्षेत्राधिकारी ने f.i.r. से पहले प्रारम्भिक जांच करके f.i.r. करने की संस्तुति की । जिसके आधार पर हरपाल सिंह की एफ आई आर दर्ज हुई। एफआईआर दर्ज होने के 6 माह बाद पुलिस ने न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया विशेष न्यायाधीश एससी /एसटी एक्ट कोर्ट ने आरोप पत्र पर संज्ञान लिया और मुलजिम को पत्रावली पर तो नोटिस जारी करते रहे परंतु उसे पुलिस को नहीं भेजा गया अंत में गैर जमानती वारंट जारी हुआ और उसे भी पुलिस को नहीं भेजा गया । इसी बीच अभियुक्त माननीय उच्च न्यायालय लखनऊ बेंच से एक आदेश ले आया और उसके आधार पर विशेष न्यायाधीश एससी / एसटी एक्ट कोर्ट में बेल हेतु आवेदन किया । जिसके अन्तर्गत पीड़ित को एससी / एसटी एक्ट की धारा 15 A (3 )के अंतर्गत सुनवाई का विधि युक्त अवसर दिये बगैर अभियुक्त को अंतरिम जमानत प्रदान कर दी गई । हरपाल सिंह ने माननीय जज साहेब और उनके कार्यालय के लिपिक के विरुद्ध एससी / एसटी एक्ट की धारा 4 एवं आईपीसी की धारा 166,167 का वाद विशेष न्यायालय में दाखिल किया जिसे जज साहेब ने मिसलेनियस में दर्ज ना करके मूल मुकदमे का नम्बर और केस टाईटल डाल कर निरस्त कर दिया । इसके बाद पीड़ित ने एससी / एसटी एक्ट के मुताबिक मिसलेनियस केस दर्ज करने और केस टाईटल ठीक करने का प्रार्थना पत्र विशेष न्यायाधीश को दिया आदेश दुरुस्त करने के प्रार्थना पत्र को भी माननीय जज साहेब ने खारिज कर दिया ।
जबकि सीआरपीसी की धारा 479 में प्रावधान किया गया है कि यदि वाद में मजिस्ट्रेट को पक्षकार बनाया गया तो वह उस केस की सुनवाई स्वय नहीं करेगा परंतु फिर भी सीआरपीसी की धारा 479 का उल्लघंन कर जज साहब ने अपने विरुद्ध एससी / एसटी एक्ट के वाद की सुनवाई स्वयं की और वाद निरस्त कर दिया।
मजबूर होकर पीड़ित हरपाल सिंह ने माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ बेंच में विशेष न्यायाधीश के आदेश को क्रिमिनल अपील संख्या 1610/2023 में चुनौती दी जिस पर 23 मई 2023 को सुनवाई हुई और विद्वान न्यायमूर्ति श्री प्रकाश सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एससी / एसटी एक्ट कोर्ट के माननीय न्यायाधीश नरेंद्र कुमार एवं लिपिक अर्जुन सिंह को नोटिस जारी कर तत्काल जवाब दाखिल करने का आदेश पारित कर दिया । अपील पर अगली सुनवाई 10,जुलाई 2023 को होगी ।
अब सवाल यह उठता है कि जिस विशेष न्यायालय के ऊपर एससी / एसटी एक्ट के पालन कराने की जिम्मेदारी है यदि वही उल्लंघन करने लगे तो विधि द्वारा स्थापित संसद द्वारा पारित और महामहिम राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित एससी / एसटी एक्ट के पीड़ितों को न्याय कौन देगा,?
परंतु हरपाल सिंह जैसे लोगो की तरह यदि पीड़ितों ने लडना शुरू कर दिया तो वह दिन दूर नहीं जब संविधान और संसद की मंशा के अनुरूप न्याय मिलना शुरू हो जाएगा ।
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