Bhagavad Gita Chapter 1 Verse 29 | जब अपनों को देखकर कांपने लगा अर्जुन का शरीर 😰 |
Автор: Adivishwam Hindi
Загружено: 2025-12-02
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युद्ध के मैदान में अपने ही गुरु और भाइयों को सामने देखकर अर्जुन की क्या हालत हुई? जानिए श्रीमद्भगवद्गीता के पहले अध्याय के 29वें श्लोक में।
सीदन्ति मम गात्राणि मुखं च परिशुष्यति । वेपथुश्च शरीरे मे रोमहर्षश्च जायते ॥ १-२९॥
(हिंदी अर्थ)] अर्जुन श्री कृष्ण से कहते हैं: "हे कृष्ण! (युद्ध की आशंका से) मेरे अंग शिथिल (कमज़ोर) हो रहे हैं और मेरा मुख सूखा जा रहा है। मेरे शरीर में कंपकंपी हो रही है और मेरे रोंगटे खड़े हो रहे हैं।"
इस श्लोक में अर्जुन की मानसिक और शारीरिक स्थिति का वर्णन है। अपनों से युद्ध करने के विचार मात्र से अर्जुन इतने भयभीत और दुखी हैं कि उनका शरीर उनका साथ नहीं दे रहा है। यह हमें बताता है कि मोह और आसक्ति किस प्रकार व्यक्ति को अंदर से कमजोर कर देती है।
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हरे कृष्णा! 🕉️
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