भगवद गीता अध्याय १ श्लोक ३४ || गुरु, दादा और मामा... सब दुश्मन? 😰 | Bhagavad Gita Chapter 1 Verse 34
Автор: Adivishwam Hindi
Загружено: 2025-12-07
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इस वीडियो में हम श्रीमद्भगवद गीता अध्याय 1, श्लोक 34 (Chapter 1, Verse 34) का अर्थ और भावार्थ समझेंगे।
पिछले श्लोक में अर्जुन ने कहा था कि उन्हें राज्य नहीं चाहिए। इस श्लोक में वे विस्तार से बताते हैं कि आखिर वे किन-किन लोगों को अपने सामने युद्ध के मैदान में खड़ा देख रहे हैं। यह सूची बताती है कि यह युद्ध केवल शत्रुओं से नहीं, बल्कि अपने ही परिवार और गुरुजनों से है।
📜 आज का श्लोक (Sanskrit Shloka): आचार्याः पितरः पुत्रास्तथैव च पितामहाः । मातुलाः श्वशुराः पौत्राः श्यालाः सम्बन्धिनस्तथा ॥ १-३४॥
🙏 हिंदी भावार्थ: अर्जुन कहते हैं: "(मेरे सामने) आचार्य (द्रोणाचार्य, कृपाचार्य आदि), ताऊ-चाचा, बेटे और उसी प्रकार दादा (भीष्म), मामा, ससुर, पोते, साले और अन्य सभी सम्बन्धी ही तो खड़े हैं।"
इस वीडियो की मुख्य बातें:
अर्जुन ने किन-किन रिश्तों का नाम लिया?
"आचार्य" का नाम सबसे पहले क्यों लिया गया?
मोह और कर्तव्य के बीच फंसा एक योद्धा।
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