बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग
Автор: Anonymous Atheist
Загружено: 2025-12-01
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ज्ञान (प्रज्ञा)
सम्यक् दृष्टि (Right Understanding/Views): इसका अर्थ है संसार के दुखों, उनके कारणों और उनके अंत के बारे में सही ज्ञान या समझ रखना। इसमें चार आर्य सत्यों की समझ शामिल है।
सम्यक् संकल्प (Right Intention/Resolve): इसका मतलब है सही विचार और इरादे रखना, जैसे कि इच्छाओं का त्याग करना, और क्रोध, घृणा, व बैर-भावना से मुक्त होने का दृढ़ निश्चय करना।
नैतिकता (शील)
सम्यक् वाणी (Right Speech): इसमें झूठ न बोलना, चुगली न करना, कठोर शब्दों का प्रयोग न करना और व्यर्थ की बातों से बचना शामिल है।
सम्यक् कर्म (Right Action): इसका अर्थ है अच्छे कर्म करना, जैसे अहिंसा का पालन करना (किसी भी जीवित प्राणी को नुकसान न पहुँचाना), चोरी न करना और यौन दुराचार से बचना।
सम्यक् आजीविका (Right Livelihood): इसका मतलब है एक ईमानदार और नैतिक तरीके से जीवनयापन करना। ऐसे किसी भी व्यवसाय से बचना जो दूसरों को नुकसान पहुँचाता हो, जैसे हथियार बेचना या जीवित प्राणियों का व्यापार करना。
एकाग्रता (समाधि)
सम्यक् प्रयास (Right Effort): इसमें अपने मन को नियंत्रित करने के लिए सही दिशा में प्रयास करना शामिल है - बुरे विचारों को दूर करना और अच्छे विचारों को बढ़ावा देना।
सम्यक् स्मृति (Right Mindfulness): इसका अर्थ है पूरी जागरूकता बनाए रखना, अपने शरीर, मन, भावनाओं और विचारों के प्रति सचेत रहना।
सम्यक् समाधि (Right Concentration): यह ध्यान की अवस्था है, जहाँ मन की एकाग्रता इतनी गहरी होती है कि व्यक्ति सभी सांसारिक दुखों से ऊपर उठकर शांति और अंतर्दृष्टि प्राप्त करता है।
इन आठ अंगों का पालन करके, व्यक्ति ज्ञान, सदाचार और ध्यान के माध्यम से निर्वाण की ओर अग्रसर होता है।
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