निसंतान महिलायें संतान प्राप्ति के लिए जरूर करें अहोई अष्टमी का व्रत, Ahoi Ashtmi Vart Vidhi
Автор: Desh Rojana
Загружено: 2022-10-15
Просмотров: 80
Описание:
निसंतान महिलायें संतान प्राप्ति के लिए जरूर करें अहोई अष्टमी का व्रत, Ahoi Ashtmi Vart Vidhi
#देश_रोजाना #Desh_Rojana
अहोई अष्टमी--2022
करवा चौथ के चार दिन के बाद मनाया जाने वाला पर्व है अहोई अष्टमी।। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुख-शांति के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखती है।। जिन महिलाओं के संतान नहीं है वे भी इस व्रत को करती है,अहोई माता उनकी भी मनोकामना जरूर पूर्ण करती है।। इस व्रत में अहोई माता यानि की माता पार्वती का ही रूप उनकी पूजा की जाती है।। इस व्रत को भी करवा चौथ की ही तरह निर्जल रह कर किया जाता है।। और व्रत को तारों की छांव में यानि की शाम को तारों को देखकर खोला जाता है।। कुछ महिलाएं चंद्रमा देखकर भी इस व्रत को करती है हालांकि अष्टमी पर चंदोदय देर से होता है।। कुछ महिलाएं पूरा उपवास भी रखती है।। इस बार अहोई अष्टमी का व्रत 17 अक्टूबर 2022 को रखा जाएगा।। इस बार अहोई अष्टमी पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं।।
जैसे-- अभिजीत मुहूर्त का समय रहेगा-- दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक।।
अमृत काल-- सुबह दो बजकर 31 मिनट से 18 अक्टूबर सुबह चार बजकर 19 मिनट तक।।
सर्वार्थ सिद्धि योग-- सुबह पांच बजकर 13 मिनट से 18 अक्टूबर सुबह छ: बजकर 33 मिनट तक रहेगा।।
शिव योग-- 17 अक्टूबर सुबह से शाम चार बजकर दो मिनट तक रहेगा।।
अष्टमी तिथि का आरम्भ--17 अक्टूबर वार सोमवार--सुबह नौ बजकर 29 मिनट से होगा।।
अष्टमी तिथि का समापन-- 18 अक्टूबर वार मंगलवार-- को सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर होगा।।
पूजा का शुभ मुहूर्त होगा-- 17 अक्टूबर को--शाम छ: बजकर 14 मिनट से शाम सात बजकर 29 मिनट तक रहेगा।।
जो महिलाएं अहोई अष्टमी का व्रत तारों की छांव में खोलती है या पारण करती है,वे शाम छ:बजकर 36 मिनट पर कर सकती है।।
जो महिलाएं चंद्रमा देखकर व्रत का पारण करती है वे रात 11 बजकर 24 मिनट के बाद पारण कर सकती है,,क्योंकि अष्टमी तिथि को चंद्रोदय देरी से ही होता है।।
पूजा विधि और सामग्री-- स्थान को गंगाजल से पवित्र कर लकड़ी का चौका या पाटा लेकर उस पर लाल रंग का कपडा़ बिछा दें।। माता अहोई का फोटो, प्रतिमा को स्थापित करें।। फिर जो करवा आपने करवा चौथ में लिया था वो जलभर कर लें।। उस पर कलावा बांध दें।। स्वास्तिक बना दें।। दोनों ही करवों या कलश में आप एक का सिक्का,पुष्प और अक्षत ड़ाल दें।। साथ ही बताशे और थोड़ा मिष्ठान रख लें।। फिर स्याहु माता या जिसे अहोई माता की माला भी बोला जाता है।। की माला लें।। ये माला चांदी की होती है और हर साल इस माला में दो मोती पिरोने होते है।। जैसे की एक संतान है तो उसके दो मोती।। इसमें अहोई माता का लॉकेट भी होता है।। ये बाजार में आराम से मिल जाती है।। उसके बाद माता अहोई की पूजा करें।। कुमकुम,अक्षत,रोली,पुष्प,धूप,दीपक,फल।। फिर माता की पूजा आरती करें।। माला की भी पूजा करें कथा करके माला को पहन लें।। इस माला को कुछ लोग दीपावली तक भी पहनतें है, कुछ लोग दूसरे दिन उतार दें।। फिर तारों को अर्घ देकर व्रत खोले।।कोशिश करें व्रत के दिन बच्चों को ना डा़टें ना रूलाएं,,उन्हें खुश रखें।। भगवान शंकर और माता पार्वती को दूध और भात यानि चावल का भी भोग लगाएं।। शाम को पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं।। शिव लिंग पर दूध से अभिषेक करना भी संतान के लिए शुभ माना जाता है।। माता को सिंदूर और सफेद पुष्प चढ़ाएं।। अहोई अष्टमी और करवा चौथ का व्रत कुल की परंपरा के अनुसार किया जाता है,तो आप भी वैसे ही व्रत करें क्योंकि सभी के विधि विधान अलग-अलग होते है।। लेकिन हां व्रत कोई भी हो अपने सामर्थ्य के अनुसार और पूरी श्रद्धा भक्ति भाव के साथ कीजिए।।
Повторяем попытку...
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео
-
Информация по загрузке: