जनकादि राजर्षियों ने कर्म से पाई सिद्धि। लोकसंग्रह का संदेश। Gita3.20
Автор: Naveen Gyan
Загружено: 2025-10-18
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श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 3 (कर्मयोग) श्लोक 20 में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को कर्मयोग की महिमा समझाते हैं —
👉 जनक आदि ज्ञानी राजर्षियों ने केवल कर्म के मार्ग से ही सिद्धि (पूर्णता) प्राप्त की।
👉 उन्होंने कर्म इसलिए नहीं किए कि उन्हें कुछ पाना था,
बल्कि लोकसंग्रह, अर्थात समाज और विश्व के कल्याण के लिए कर्म किए।
👉 इसलिए हे अर्जुन! तू भी समाज के हित के लिए अपने कर्तव्य का पालन कर।
इस श्लोक का सार —
जो व्यक्ति अपने कर्मों से समाज का कल्याण करता है, वही सच्चा योगी है।
कर्तव्य का पालन ही आत्मसिद्धि और लोकमंगल का मार्ग है।
इस वीडियो में —
✅ संस्कृत श्लोक
✅ हिंदी अनुवाद
✅ सरल भावार्थ
✅ कर्मयोग और लोकसंग्रह का दिव्य संदेश
✨ “कर्म करते रहो, क्योंकि कर्म से ही आत्मोन्नति और लोककल्याण दोनों संभव हैं।”
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