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“जब तक मैं जीवित हूँ — तुम पुत्रहीन नहीं हो | अंधायुग का हृदयस्पर्शी संवाद”
Автор: Sahityik Musafir
Загружено: 2025-07-29
Просмотров: 38
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“जब तक मैं जीवित हूँ — पुत्रहीन नहीं हो तुम।
प्रभु हूँ या प्रातःपर, पुत्र हूँ तुम्हारा…
तुम माता हो मेरी।”
धर्मवीर भारती के अंधायुग का यह संवाद सिर्फ शब्द नहीं,
यह करुणा, उत्तरदायित्व और स्नेह का जीवंत रूप है।
एक ऐसा संवाद जो आत्मा को छू जाता है।
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