मेडल पर सरकारी नौकरी सही या गलत? | Yogi सरकार का फैसला बनाम मेहनती प्रतियोगी छात्र
Автор: Analysis with Anuj Vashishtha
Загружено: 2025-12-16
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि जो खिलाड़ी देश के लिए मेडल लेकर आएगा, उसे सरकारी नौकरी दी जाएगी।
लेकिन सवाल यह है —
क्या यह फैसला उन लाखों युवाओं के साथ न्याय है जो 5, 6 या 10 साल तक सरकारी नौकरी की तैयारी करते हैं और फिर भी चयन नहीं हो पाता?
क्या किसी एक व्यक्ति को “मुफ्त में सरकारी नौकरी” देना उन उम्मीदवारों के अधिकारों का हनन नहीं है जिन्होंने परीक्षा, चयन प्रक्रिया और मेरिट के जरिए आगे बढ़ने का सपना देखा?
खिलाड़ी देश का प्रतिनिधित्व करते हैं — यह उनकी जिम्मेदारी है, न कि देश पर कोई एहसान।
लाखों लोगों में से चुनकर उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर भेजा जाता है, जहाँ मेडल लाना अपेक्षा होती है।
सरकारी नौकरी देश की रीढ़ है।
अगर वही नौकरियाँ बिना प्रतियोगी प्रक्रिया के बाँटी जाएँगी, तो देश कैसे आगे बढ़ेगा?
देश को आगे बढ़ाने के लिए ज़रूरी है कि
योग्य लोग पदों पर बैठें
मेहनत करने वालों को प्राथमिकता मिले
नीतियाँ राजनीतिक लाभ के लिए नहीं, जनहित के लिए बनें
यह वीडियो/लेख किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि नीति पर सवाल है।
आपका क्या मत है?
कमेंट में ज़रूर बताइए।
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