साम्राज्य को हिला देने वाले युद्ध पानीपत में क्यों लड़ी गईं? | Battle of Panipat |
Автор: News18 Haryana
Загружено: 2023-06-20
Просмотров: 283
Описание:
साम्राज्य को हिला देने वाले युद्ध पानीपत में क्यों लड़ी गईं? | Battle of Panipat | #local18
#battleofpanipat #panipatnews #haryananews #panipatkiladai
सुमित भारद्वाज/पानीपत. पानीपत दिल्ली के पास स्थित था, जो भारत के कई ऐतिहासिक साम्राज्यों की राजधानी थी. इसलिए, पानीपत को जीतना दिल्ली पर रणनीतिक नियंत्रण प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता था. पानीपत की धरती ने इतिहास के कई महत्वपूर्ण युद्ध देखे हैं. इन युद्धों के परिणाम ने ही कई साम्राज्यों को खत्म तो कई साम्राज्यों की स्थापना की है. पौराणिक कथा के अनुसार, यह पांडव बंधुओं द्वारा स्थापित पांच शहरों में से एक था. इसका ऐतिहासिक नाम पांडुप्रसथ है. पानीपत की पहली लड़ाई 21 अप्रैल 1526 को हुई थी. इसी लड़ाई में बाबर ने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराकर लोदी वंश को समाप्त कर दिया था. इसी के साथ मुगल साम्राज्य की भी शुरूआत हुई थी. मगर किन कारकों की वजह से पूरे उत्तर भारत में इसी क्षेत्र को मुख्य रूप से लड़ाई करने के लिए चुना जाता था? पहले जानते है कि इस धरती पर लड़े युद्धों ने भारतीय इतिहास को किस हद तक प्रभावित किया है.
इतिहास के पन्नों में देश में कई युद्धों का जिक्र जरूर है.लेकिन जब भी पानीपत का नाम आता है तो पानीपत की 3 युद्धों का स्मरण होता है. आज भी काला आम इस नाम से देश दुनिया में प्रसिद्ध है, क्योंकि उस आम के पेड़ में उन शहीद सैनिकों का रक्त मिला हुआ है. इतिहासकार बताते हैं दिल्ली के नजदीक होने की वजह से हर बड़ा युद्ध इसी जमीन पर लड़ा गया.
लोदी वंश के पतन की हुई शुरुआत
पानीपत की लड़ाई ऐसी थी जिसने भारत के इतिहास को बदलकर रख दिया था. पानीपत की पहली लड़ाई साल 1526 में दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच में हुई. जिसमें बाबर की सेना ने इब्राहिम लोदी के एक लाख से सैनिकों को हरा कर जीत दर्ज की थी. इस युद्ध में हजारों सैनिकों का रक्त बहा था, जिससे यहां की जमीन का रंग भी लाल हो गया था. इस जंग के नतीजे ने मुगल युग की शुरुआत की और लोदी वंश का खात्मा कर दिया थी. पानीपत की पहली लड़ाई जीतने के बाद ही बाबर दिल्ली की गद्दी पर जाकर बैठ गया था.
पानीपत के युद्धों का इतिहास
इतिहासकार रमेश के अनुसार वैसे तो पानीपत में छोट-मोटे 7 युद्ध हुए हैं, लेकिन महाभारत के युद्ध के बाद पानीपत में तीन बहुत बड़ी लड़ाइयां हुईं . पानीपत की पहली लड़ाई साल 1526, दूसरी लड़ाई साल 1556 में और तीसरी लड़ाई साल 1761 में हुई थी और यह सभी लड़ाईयां दिल्ली की गद्दी के लिए लड़ी गई थी. पानीपत की लड़ाई में जो भी विजेता होता था वह दिल्ली की गद्दी पर जाकर बैठ जाता था.
पानीपत में ही क्यों होता था युद्ध
दिल्ली को तबाही से बचाने और उसे सुरक्षित रखने के लिए ही दिल्ली के राजाओं द्वारा दिल्ली से पानीपत युद्ध किया जाता था.क्योंकि उस समय दिल्ली पर हमला कर उसकी गद्दी पर राज करने के लिए हमलावर पंजाब की तरफ से आते थे, जिन्हें दिल्ली जाने के लिए पानीपत से गुजरना पड़ता था. जैसे ही दिल्ली के राजा को पता चलता था कि हमलावर दिल्ली पर हमला करने के लिए आ रहे हैं, दिल्ली के राजा द्वारा पहले ही पानीपत में अपना डेरा जमा लिया जाता था. हमलावरों को पानीपत में ही रोक लिया जाता था. जिसकी वजह से दिल्ली सुरक्षित रहती और जो भी राजा इस लड़ाई को जीत जाता था वह दिल्ली की गद्दी पर जाकर काबिज हो जाता.उस समय पानीपत एक ऐसा स्थान था जिसके दोनों तरह नहरे थी एक तरफ यमुना नहर, जबकि दूसरी तरफ दिल्ली पैरलर नहर थी. दोनों तरफ नहर नजदीक होने की वजह से दोनों सेनाओं को पानी आराम से मिल जाता था.
Повторяем попытку...
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео
-
Информация по загрузке: