kisaan aandolan| किसान जागरूकता | किसान आंदोलन | jahar ki kheti | किसान
Автор: राजीव दीक्षित आजादी बचाओ आंदोलन
Загружено: 2020-11-25
Просмотров: 35
Описание:
किसानों के पास कृषि योग्य भूमि कम होती जा रही है। हमारा उद्देश्य किसानों को कृषि के साथ- साथ आय के अन्य स्रोतों के माध्यम से आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। समय- समय पर कृषि समन्धित जानकारी साझा करके किसानों की दशा में सुधार लाना है। कृषि के साथ- साथ पशुपालन, मधुमखी पालन, मछली पालन इत्यादि पर किसान भाइयों के साथ जानकारी साझा करना है।
Instagram :- / azadibachaoandolan
Facebook :- facebook.com/rajivbhai.Bharat
1:29 - जहर
7:20 - गन्ना
7:29 - यूरिया
कृषि क्षेत्र में देश की लगभग आधी श्रमशक्ति कार्यरत है। हालांकि जीडीपी में इसका योगदान 17.5% है (2015-16 के मौजूदा मूल्यों पर)।
पिछले कुछ दशकों के दौरान, अर्थव्यवस्था के विकास में मैन्यूफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्रों का योगदान तेजी से बढ़ा है, जबकि कृषि क्षेत्र के योगदान में गिरावट हुई है। 1950 के दशक में जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान जहां 50% था, वहीं 2015-16 में यह गिरकर 15.4% रह गया (स्थिर मूल्यों पर)।
kisaan aandolan| किसान जागरूकता | किसान आंदोलन | jahar ki kheti | किसान
भारत का खाद्यान्न उत्पादन प्रत्येक वर्ष बढ़ रहा है और देश गेहूं, चावल, दालों, गन्ने और कपास जैसी फसलों के मुख्य उत्पादकों में से एक है। यह दुग्ध उत्पादन में पहले और फलों एवं सब्जियों के उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। 2013 में भारत ने दाल उत्पादन में 25% का योगदान दिया जोकि किसी एक देश के लिहाज से सबसे अधिक है। इसके अतिरिक्त चावल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 22% और गेहूं उत्पादन में 13% थी। पिछले अनेक वर्षों से दूसरे सबसे बड़े कपास निर्यातक होने के साथ-साथ कुल कपास उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 25% है।
ऐसे कई कारण हैं, जोकि कृषि उत्पादकता को प्रभावित करते हैं, जैसे खेती की जमीन का आकार घट रहा है और किसान अब भी काफी हद तक मानसून पर निर्भर हैं। सिंचाई की पर्याप्त सुविधा नहीं है, साथ ही उर्वरकों का असंतुलित प्रयोग किया जा रहा है जिससे मिट्टी का उपजाऊपन कम होता है। देश के विभिन्न भागों में सभी को आधुनिक तकनीक उपलब्ध नहीं है, न ही कृषि के लिए औपचारिक स्तर पर ऋण उपलब्ध हो पाता है। सरकारी एजेंसियों द्वारा खाद्यान्नों की पूरी खरीद नहीं की जाती है और किसानों को लाभकारी मूल्य नहीं मिल पाते हैं।
इस संबंध में कमिटियों और एक्सपर्ट संस्थाओं द्वारा पिछले कई वर्षों से अनेक सुझाव दिए जा रहे हैं, जैसे कृषि की जमीन की पट्टेदारी के कानून बनाना, कुशलतापूर्वक पानी का उपयोग करने के लिए लघु सिंचाई तकनीक को अपनाना, निजी क्षेत्र को संलग्न करते हुए अच्छी क्वालिटी के बीजों तक पहुंच को सुधारना और कृषि उत्पादों की ऑनलाइन ट्रेडिंग के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार की शुरुआत करना।किसान जागरूकता | कृषि सहयोग एवं किसान अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का मौत का व्यापार #rajivdixitji
हालांकि अनेक फसलों के मामलों में चीन, ब्राजील और अमेरिका जैसे बड़े कृषि उत्पादक देशों की तुलना में भारत की कृषि उपज कम है (यानी प्रति हेक्टेयर जमीन में उत्पादित होने वाली फसल की मात्रा)। #rajivbhai
Повторяем попытку...
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео
-
Информация по загрузке: