साधु संत की नित्य कर सेवा,उनको अपनी मस्तक देना, मुझे दास बनालो घनश्याम, दयालु दया करो 18/12/25
Автор: संत दानी राम के निर्गुण विचार और संतों की वाणी
Загружено: 2025-12-18
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Описание: साधु संत की नित्य कर सेवा,उनको अपनी मस्तक देना, मुझे दास बनालो घनश्याम, दयालु दया करो।
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