🔱🕉️🚩कंजक पूजन क्यों किया जाता है ?🚩🕉️🙏🔱🙏
Автор: JAI BABA BALAK NATH (Bhakti channel)
Загружено: 2025-10-01
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🌸 कंजक पूजन क्यों किया जाता है? 🌸
कंजक पूजन (जिसे कंजक या कन्या पूजन कहा जाता है) नवरात्रि के अंत में, विशेषकर अष्टमी या नवमी के दिन किया जाता है। इसका महत्व धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टि से बहुत गहरा है।
कारण व महत्व :
1. देवी शक्ति का स्वरूप –
माना जाता है कि छोटी कन्याएँ नौ रूपों वाली दुर्गा माता का साक्षात स्वरूप होती हैं। उन्हें पूजने से देवी माँ स्वयं प्रसन्न होती हैं।
2. स्त्री शक्ति का सम्मान –
यह परंपरा इस संदेश के लिए भी है कि नारी ही शक्ति का आधार है। उसके बिना सृष्टि अधूरी है।
3. नवरात्रि साधना का पूर्ण होना –
भक्त नवरात्रि में नौ दिन उपवास और साधना करते हैं। कंजक पूजन के बिना यह साधना अधूरी मानी जाती है।
4. पुण्य और आशीर्वाद –
कन्याओं को भोजन, उपहार व दक्षिणा देने से देवी माँ की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
5. धर्मशास्त्र में वर्णन –
दुर्गा सप्तशती व अन्य ग्रंथों में वर्णित है कि नवरात्रि व्रत का समापन कन्याओं और एक लंगूर (भैरव जी का प्रतीक) को भोजन कराकर ही होता है।
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कंजक पूजन की प्रक्रिया :
7, 9 या 11 छोटी कन्याओं को घर बुलाकर उनके चरण धोकर पूजन किया जाता है।
उन्हें चूड़े, हलवा, पूड़ी खिलाई जाती है।
लाल चुनरी, बिंदी और उपहार (जैसे कंघी, चूड़ियाँ, किताबें या पेन) दिए जाते हैं।
अंत में आशीर्वाद लिया जाता है।
👉 संक्षेप में, कंजक पूजन माँ दुर्गा के नौ रूपों का सम्मान, स्त्री शक्ति का आदर और नवरात्रि साधना की पूर्णता है।
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