प्राण गायत्री मन्त्र का महत्व और अर्थ
Автор: Guru Gorakhnath ji bhakti Gyan
Загружено: 2025-09-28
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प्राण गायत्री मन्त्र का महत्व और अर्थ
प्राण गायत्री मन्त्र
ओम सत नमो आदेश। गुरुजी को आदेश। ओम गुरुजी। ओम अपरम्पार-अपरम्पार में ब्रह्मपार-ब्रह्मपार में गिरि कैलाश। कैलाश पर गगन मण्डल छाया ज्योति से त्रिकुट भई ओम सोहं से मार्ग पाया। कैलाश में महादेव पार्वती ने किया निवासा। प्राण गायत्री का भया प्रकाशा। ओम गुरुजी कौन पुरुष ने बान्धी काया, कौन डोर से हंसा आया। कौन कमल से संसार रचाया, कौन कमल से जीव का वासा। कौन कमल में निरंजन निराई, कौन कमल में फिरी दुहाई। कहो सिद्धों असंख्य युग की बात, नहीं तो धरो सब ठाट बाट।
ओम गुरुजी अलख पुरुष ने बान्धी काया, बेगम डोर से हन्सा आया, नाभि कमल से संसार रचाया। हृदय कमल में जीव का वासा, कुन्ज कमल में निरन्जन निराई। त्रिकुट महल में फिरी दुहाई। कौन के हम शिष्य हैं। कौन हमारा नाम। कौन हमारा इष्ट है। कौन हमारा गांव। शबद के हम शिष्य हैं, सोहं हमारा नाम प्राण हमारा इष्ट है। काया हमारा गांव।
ओम सोहं हंसाय विद्महे प्राण प्राणाय धीमहि तन्नो ज्योति स्वरुप प्रचोदयात्। इतना प्राण गायत्री मन्त्र सम्पूर्ण भया। श्री नाथ जी गुरुजी को आदेश। आदेश। आदेश।
अतः साधक ने नवनाथ नाम स्वरुप पाठ तथा चौरासी सिद्ध गायत्री पाठ पढ़कर सर्वतो महारुद्र की पूजन समोपचारे करें।
आदेश गुरु गोरक्षनाथ जी को आदेश ।दोस्तों इस दुनिया में हर व्यक्ति सफल होना चाहता है तो इस चैनल को लाइक सब्सक्राइब और शेयर करना मत भूलना जितना आप ऐसा करोगे उतनी ही सफल होते चले जाओगी जिंदगी में आदेश । गुरु दत्तात्रेय जी को आदेश! गुरु मच्छिंद्रनाथ नाथ जी को आदेश! अलख निरंजन जी को आदेश! बाबा गुरु गोरखनाथ जी को आदेश
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