प्रयागराज के कोतवाल चमत्कारी बड़े हनुमान जी मंदिर दर्शन | 4K | दर्शन 🙏
Автор: Tilak
Загружено: 2022-12-26
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संगीत एवम रिकॉर्डिंग - सूर्य राजकमल
लेखक - रमन द्विवेदी
भक्तों नमस्कार! प्रणाम और हार्दिक हार्दिक अभिनन्दन! भक्तों जीवन लौकिक झंझावातों में इतना फंसा है कि लोगों को पारलौकिक जीवन यात्रा के लिए समय नहीं ही मिल पाता, आपा-धापी व भाग-दौड़ के चलते दिव्य, धार्मिक व आध्यात्मिक तीर्थ स्थलों के दर्शन करने का सौभाग्य भी बहुत ही कम मिल पाता है। इसलिए हम अपने लोकप्रिय कार्यक्रम दर्शन के माध्यम से आप सभी भक्तों और दर्शकों को नित्य नए तीर्थों, धामों और मंदिरों का दर्शन करवाते हैं। आज हम जिस सुविख्यात दिव्य मंदिर का दर्शन करवाने जा रहे हैं वो है संगम नगरी और तीर्थराज प्रयाक स्थित श्री बड़े हनुमान जी का मंदिर!
प्रयागराज:
भक्तों तीर्थराज की संज्ञा प्राप्त प्रयागराज का धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व् है क्योंकि यहाँ एक तरफ गंगा यमुना और सरस्वती आदि पतितपावनी नदियों का संगम त्रिवेणीक्षेत्र और प्रयागराज में महर्षि भारद्वाज और महर्षि लोमस का आश्रम है. तो वहीं महान राष्ट्रभक्त अमर बलिदानी चंद्रशेखर तिवारी आज़ाद अर्थात चंद्रशेखर आज़ाद बलिदान स्थल और प्रयाग संगीत समिति भी अवस्थित है.
मंदिर के बारे में:
भक्तों बड़े हनुमान जी का मंदिर सारी दुनिया का विख्यात मंदिर है। यह मंदिर भारत के राज्यउत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम के समीप यमुना तट पर स्थित है। इस मंदिर के विशेषता यह है कि यहाँ हनुमान जी की अद्भुत दक्षिणाभिमुखी मूर्ति लेटी हुई अवस्था में विराजमान है। यह दुनिया में एक मात्र, ऐसा हनुमान मंदिर है जहां पर भगवान हनुमान जी कि लेटी हुई मूर्ति को पूजा जाता है। यह मूर्ति 20 लगभग फीट लंबी है और धरातल से 8। 10 फीट नीचे अवस्थित है। संगम नगरी में इन्हें बड़े हनुमानजी, किले वाले हनुमानजी, लेटे हनुमानजी और बांध वाले हनुमानजी के नाम से जाना जाता है। हनुमान जी की इस मूर्ति के बाएं पैर के नीचे कामदा देवी और दाएं पैर के नीचे अहिरावण दबा है। उनके दाएं हाथ में राम-लक्ष्मण और बाएं हाथ में गदा सुशोभित है। माना जाता है कि इस में विराजमान बजरंगबली यहां आनेवाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
पौराणिक कथा:
भक्तों एक पौराणिक कथा के अनुसार - त्रेता युग मे जब प्रभु श्री राम, रावण का वध करके माता सीता, भाई लक्ष्मण और प्रिय भक्त हनुमान के साथ संगम स्नान करके ऋषि भारद्वाज के आश्रम की ओर जाने लगे तो हनुमान जी इसी स्थान पर अत्यधिक थकान के कारण से मूर्छित हो गए।। जगत्जननी सीता से हनुमान जी का कष्ट देखा न गया। इसलिए उन्होंने हनुमान जी का शारीरिक कष्ट दूर करने हेतु, स्वयं अपने हाथों से पवनपुत्र के शरीर पर अपने सुहाग के सिंदूर का लेप लगाया और उन्हें अजर अमर रहने का अमोघ आशीर्वाद कहा था कि जो भी इस त्रिवेणी तट पर संगम स्नान पर आएगा उसे संगम स्नान का असली फल तभी मिलेगा जब वह हनुमान जी के इस विग्रह का दर्शन करेगा। इसीलिए आज भी भक्त इस मंदिर में सिंदूर और कुमकुम चढ़ाते हैं।
मंदिर का इतिहास:
भक्तों प्रयागराज के बड़े मंदिर प्रमाणित इतिहास तो लगभग 300 वर्षों का ही है लेकिन इस मंदिर को 600-700 वर्ष पुराना माना जाता है। एक प्राचीन कथा के अनुसार - कन्नौज के राजा के निसंतान थे। उन्होंने संतान प्राप्ति हेतु अनेक उपक्रम किये परन्तु उन्हें संतान सुख प्राप्त न हुआ। राज अत्यधिक दुखी होकर अपनी संतानहीनता की समस्या के निदान अपने कुलगुरु के पास गए। कुलगुरु ने राजा की संतानहीनता का समाधान बताते हुए कहा कि “राजन आप विन्ध्याचल पर्वत में जाइए और वहां से हनुमान जी के उस स्वरुप की मूर्ति बनवाकर लाइए जिस स्वरुप में हनुमान जी अहिरावण के नागपाश से राम लक्ष्मण को छुड़ाने के लिए पाताल लोक गए थे”। कन्नौज के रजा गुरु की आज्ञा मानकर विध्याचल पर्वत जाकर हनुमान जी की वैसी ही मूर्ति बनवाई जैसी राजा के गुरु ने कहा था। कहा जाता है कि जब राजा जल मार्ग से नाव द्वारा मूर्ति लेकर वापस आ रहे थे। तभी अचानक नाव टूट गयी और इसी स्थान और हनुमान जी की प्रतिमा जलमग्न हो गयी। राजा ने जलमग्न मूर्ति को पुनः प्राप्त करने कभागीरथ प्रयास किया लेकिन मूर्ति उन्हें मूर्ति प्राप्त न हो सकी। इस घटना के कई वर्षों बाद, जब गंगा मैया ने अपना रास्ता बदला तो राजा को यह देखकर बेहद दुख हुआ। वो दुखी मन से अपने राज्य वापस लौट गए। इस घटना के कई वर्षों बाद जब गंगा का जलस्तर घटा तो वहां धूनी जमाने का प्रयास कर रहे दिगंबर साधु रामभक्त बाबा बालगिरी महाराज जी को मूर्ति लेटी हुई अवस्था मे प्राप्त हुई। जब यह जानकारी कन्नौज के रजा को हुई तो उन्होंने इस स्थान पर का निर्माण करवा दिया।
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏
इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन। 🙏
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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