माहेश्वर सूत्र याद करने की सबसे आसन trick maheshvar sutra
Автор: DIVINE ENERGY
Загружено: 2021-12-17
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माहेश्वर सूत्र (संस्कृत: शिवसूत्राणि या महेश्वर सूत्राणि) अष्टाध्यायी में आए १४ सूत्र (अक्षरों के समूह) हैं जिनका उपयोग करके व्याकरण के नियमों को अत्यन्त लघु रूप देने में पाणिनि ने सफलता पायी है। शिवसूत्रों को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है। पाणिनि ने संस्कृत भाषा के तत्कालीन स्वरूप को परिष्कृत एवं नियमित करने के उद्देश्य से भाषा के विभिन्न अवयवों एवं घटकों यथा ध्वनि-विभाग (अक्षरसमाम्नाय), नाम (संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण), पद, आख्यात, क्रिया, उपसर्ग, अव्यय, वाक्य, लिंग इत्यादि तथा उनके अन्तर्सम्बन्धों का समावेश अष्टाध्यायी में किया है। अष्टाध्यायी में ३२ पाद हैं जो आठ अध्यायों मे समान रूप से विभक्त हैं
१. अइउण्। २. ऋऌक्। ३. एओङ्। ४. ऐऔच्। ५. हयवरट्। ६. लण्। ७. ञमङणनम्। ८. झभञ्। ९. घढधष्। १०. जबगडदश्। ११. खफछठथचटतव्। १२. कपय्। १३. शषसर्। १४. हल्
इन १४ माहेश्वर सूत्रों से कुल २९१ प्रत्याहार बनाए जा सकते हैं : १४*३ + १३*२ + १२*२ + ११*२ + १०*४ + ९*१ + ८*५ + ७*२ + ६*३ + ५*५ + ४*८ + ३*२ + २*३ + १*१ - १४ (पाणिनि एक अक्षर वाले प्रत्याहार को नहीं मानते) -१० (सूत्रों में दो बार 'ह' आया है, जिससे १० कृत्रिम प्रत्याहार बनते हैं) । किन्तु पाणिनि ने केवल ४१ प्रत्याहारों का ही उपयोग किया है
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