आठ सो साल प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर मे अन्नकूट महोत्सव हुआ सम्पन्न
Автор: MP11 News
Загружено: 2025-10-30
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800 साल पुराने महालक्ष्मी मंदिर मे पूर्ण परंपरा के साथ अन्नकूट महोत्स्व का किया गया आयोजन ।..
छपपन भोग लगाकर की गईं महाआरती। श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़..
नवरात्री मे निःसंतान दम्पत्ति का खीर खाने का बहुत महत्व हैं।...
माता लक्ष्मी जी के आशीर्वाद से व नगर की धर्मप्रेमी जनता के सहयोग से इस मंदिर का शिध्र जीर्णोद्धार होगा।
मोनेष शोभा जैन.. ✍️
धार जिले के कुक्षी मे स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर में 800 साल पुरानी परंपरा के साथ अन्नकूट का आयोजन किया गया है, जैसा इस मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित आशीष त्रिवेदी जी व समिति सदस्यों द्वारा बताया गया है की सनातन परम्परानुसार इस महोत्सव को दीपावली पष्यात प्रतिवर्ष गोपाष्टमी के दिन नींडू धर्मवलम्बी बड़ी उत्साह के साथ मनाते हुए महायज्ञ, विशाल भंडारा और माता लक्ष्मी जी का विशेष श्रृंगार करते हैं । जिसमें नगर सहित आसपास के क्षेत्रो से हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं ।
नगर के एक मात्र चमत्कारी श्री महालक्ष्मी मंदिर में दीपावली पष्यात यह अन्नकूट महोत्सव गोपाष्टमी पर आयोजित होने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम है, जिसमें देवी महालक्ष्मी को छपपन भोग और प्रसाद अर्पित किया जाता है। इस दिन अनुष्ठान कर महायज्ञ किया जाता हैं और भक्त इसमें आहुतियां देंते हैं। तत्पष्यात देर शाम को करीब 7 बजे माता लक्ष्मी जी की महाआरती होती हैं व आरती पष्यात अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया जाता हैं। जो देर रात तक चलता हैं । मंदिर को भव्य सजाया जाता हैं और प्रकाश व्यवस्था की जाती हैं । समिति सदस्यों के आलावा नगर के प्रत्येक जाती धर्म के सनातन परम्परा हैं अनुयायी अपने तन, मन, धर से सेवाएं प्रदान करते हैं। हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। यह अन्नकूट महोत्सव सेकड़ो वर्षों से लगातार पुरी सनातन परम्परा के साथ आयोजित होता रहा है। मंदिर समिति द्वारा इसे हर साल और भी भव्य बनाया जाता है। इस आयोजन का उद्देश्य मातारानी को कृतज्ञता व्यक्त करना और प्रकृति की प्रचुरता का सम्मान करना है, जैसा कि अन्नकूट उत्सव में होता है।
इस मंदिर मे भक्तो की आस्था और महत्वता दूर दूर फैली हैं .
नगर के वरिष्ठ जनो व मुख्य पुजारी पंडित आशीष त्रिवेदी जी से MP 11 न्यूज़ द्वारा चर्चा के ज्ञात हुआ हैं की महालक्ष्मी जी के इस मंदिर को लेकर जो सनातनीयों मे अटूट आस्था हैं जो इस मदिर को और भी भव्य बनाती हैं। इस मंदिर मे साल की दो नवरात्री मे महायोजन तो होते ही हैं इस मंदिर मे हवन पूजन का एक अपना ही अलग महत्व हैं करीब 800 साल से निरंतर यहाँ हवन पूजन होता आया हैं और नवरात्री मे इस मंदिर मे बनी खीर को नगर के आलावा दूर दूर से निःसंतान दम्पत्ती आकर खाने आते हैं व माँता के आशीर्वाद से उस परिवार मे खुशियाँ आती हैं जो एक बहुत बड़ा चमत्कार हैं। साथ ही श्रादपक्ष मे माता लक्ष्मी जी का जन्मोत्सव नगर मे पुरे श्रद्धा भाव के भव्य रूप से मनाया जाता हैं।
समिति का कहना हैं की माता लक्ष्मी जी के आशीर्वाद से व नगर की धर्मप्रेमी जनता के सहयोग से इस मंदिर का शिध्र जीर्णोद्धार प्रारम्भ होगा।
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