चतुर्थ अध्याय ज्योतिष का प्राण: काल की अवधारणा | ज्योतिष प्रारम्भिक ज्ञान | भाग - 4
Автор: ज्योतिष समाधान
Загружено: 2025-11-09
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इस अध्याय के अध्ययन के पश्चात् पाठक निम्नलिखित विषयों को समझने में सक्षम होंगे -
काल की परिभाषा और प्रधानता: ज्योतिष शास्त्र में काल (Time) के महत्व और उसकी परिभाषा को जानना ।
काल के स्वरूप: काल के विभिन्न प्रकारों – अन्तकृत काल, कलनात्मक काल, स्थूल काल, सूक्ष्म काल और महाकाल – को स्पष्ट करना ।
काल गणना: ब्रह्म आयुर्मान, कल्पमान, दिव्य वर्ष एवं चतुर्युग जैसी वैदिक काल गणना की जटिल अवधारणाओं को समझना ।
नवविध कालमान ज्योतिष में प्रयुक्त नौ प्रकार के कालमानों (जैसे सौर, चान्द्र, नाक्षत्र) और उनके व्यावहारिक उपयोग को समझना ।
ज्योतिष का प्रयोजन काल के ज्ञान के माध्यम से यज्ञ, अनुष्ठान, और मानव-कल्याण हेतु शुभ काल के निर्धारण की आवश्यकता को जानना ।
ऋतु, अयन, गोल की समस्त जानकारी सम्पातिक वर्ष के बारे में जानकरी प्राप्त करेंगे |
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