राजविद्या रूपी ज्ञान का अघिकारी कौन? उसका फल क्या?
Автор: GD Jasuja
Загружено: 2024-03-15
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जय योगेश्वर
राजविद्या रूपी ज्ञान का अघिकारी कौन? उसका फल क्या? परम पूज्य पांडुरंग शास्त्री आठवले "दादाजी" के प्रवचनों के संकलन पर आधारित
ज्ञानका अघिकारी कौन? जो अनुसूय - निर्मत्सर है जिसको दूसरेका सुख देखकर हादिंक हर्ष होता है, वह। दूसरे का सुख देखकर सुखी होनेवाले कितने हैं? हम कई बार दूसरेके दुःख से दुःखी तो होते हैं, परन्तु वह कुछ इतना बराबर नहीं है। दूसरेके दुःख से दुःखी होने के मूल में अपनी मानसिक दुर्बलता भी हो सकती है। इ्सलिये दूसरेके दुःख से दुःखी होने वाले के मन को सहज मन कहा जाता है और दूसरेके सुख से सुखी होने वाले के मन को संस्कारी मन कह्ते हैं । यह ज्ञान अैसा है कि इसको प्राप्त करने के बाद जगतू में अशुभ भी शुभ लगने लगते हैं । इतना ही नहीं, गीता में कृष्ण भगवान अर्जुन को कहते हैं कि इस ज्ञान से तू अशुभ (जन्म मरण रूप जगत) से भी मुक्त हो जायेगा
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