#नदी
Автор: ShivAmruthkatha
Загружено: 2025-07-31
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ShivAmruthkatha
#नदी में नाव, शरीर में पाँव, और भक्ति में भाव—तीनों से मिलती है मंज़िल। #pandit pradeep ji mishra
मेरी छोटी सी नाव,
मेरी छोटी सी नाव,
पूज्य श्री राजन जी महाराज भजन,
शरीराम,
हनुमान चालीसा हिंदी में,
हाथ पैर में झनझनाहट के कारण,
शरीरामचरितमानस,
अयोध्यामेंरामलला,
अयोध्या_में_रामलला
श्रीराम, श्रीरामजन्मभूम,
महाकुंभ की वायरल महिला मोनालिसा,
सनातनसंस्कृति,
सनातन_संस्कृति
हनुमान चालीसा हिंदी में,
हाथ पैर में झनझनाहट के कारण,
शरीराम, शरीरामचरितमानस,
अयोध्यामेंरामलला,
अयोध्यामें_रामलला,
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पूज्य श्री राजन जी महाराज भजन,
श्रीराम, महाकुंभ की वायरल महिला मोनालिसा,
सनातनसंस्कृति,
सनातन_संस्कृति,
श्रीरामजन्मभूम
बहुत सुंदर और सारगर्भित पंक्तियाँ हैं:
"नदी में नाव, शरीर में पाँव, और भक्ति में भाव—तीनों से मिलती है मंज़िल।"
इसका गूढ़ अर्थ है:
नदी में नाव के बिना पार पाना कठिन है,
शरीर में पाँव के बिना चलना असंभव है,
और भक्ति में भाव के बिना ईश्वर तक पहुँचना कठिन है।
इन तीनों उपमाओं के माध्यम से पंडित प्रदीप जी मिश्रा यह संदेश देते हैं कि माध्यम और भावना दोनों जरूरी हैं। चाहे वह जीवन की राह हो या ईश्वर की ओर यात्रा—सही साधन और सच्ची भावना से ही मंज़िल मिलती है।
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