यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है प्रदोष व्रत कथा और विधि ||प्रदोष व्रत के लाभ
Автор: The Devotional Being
Загружено: 2025-01-05
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यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है प्रदोष व्रत कथा और विधि ||प्रदोष व्रत के लाभ
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प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है और यह दिन-रात के संधि काल (प्रदोष काल) में शिव जी की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इस व्रत को करने से भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-शांति व समृद्धि आती है।
प्रदोष व्रत विधि
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स्नान और संकल्प:
प्रदोष व्रत के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
शिव जी की आराधना करने का संकल्प लें और दिनभर उपवास रखें।
पूजा स्थल की तैयारी:
भगवान शिव का पूजन घर में या मंदिर में करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
शिवलिंग को दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से स्नान कराएं।
पूजन सामग्री:
बेलपत्र, सफेद फूल, अक्षत, चंदन, धूप, दीपक, मिठाई और फल।
शिव जी के साथ माता पार्वती, गणेश जी और नंदी का भी पूजन करें।
प्रदोष काल पूजा:
त्रयोदशी तिथि के शाम के प्रदोष काल (सूर्यास्त से 1.5 घंटे पहले और बाद तक) में भगवान शिव की पूजा करें।
शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाएं और शिव चालीसा या शिव पौराणिक कथाओं का पाठ करें।
"ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
भोजन और व्रत का समापन:
रात्रि में फलाहार करें।
अगले दिन चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव की पूजा के बाद उपवास खोलें।
*********** प्रदोष व्रत कथा************
प्रदोष व्रत की कथा का श्रवण व्रत का फल और भी अधिक बढ़ा देता है। यह कथा इस प्रकार है:
पुराणों की कथा:
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एक बार एक निर्धन ब्राह्मण था, जो अत्यंत दरिद्रता में जीवन यापन कर रहा था। वह शिव भक्त था और उसने प्रदोष व्रत किया। शिव जी उसकी भक्ति और व्रत से प्रसन्न होकर उसे धन और सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।
एक अन्य कथा के अनुसार, चंद्र देव को श्राप से मुक्त करने के लिए उन्होंने भगवान शिव की आराधना की थी। शिव जी ने चंद्रमा को श्राप से आंशिक मुक्ति दी और उन्हें अमावस्या से पूर्णिमा तक बढ़ने का वरदान दिया।
प्रदोष व्रत के लाभ
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सभी प्रकार के रोग और दोष से मुक्ति मिलती है।
वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।
आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।
भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
विशेष प्रकार के प्रदोष व्रत
संपूर्ण प्रदोष: यदि प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ता है, तो इसे सोम प्रदोष कहा जाता है और यह विशेष रूप से फलदायक माना जाता है।
शनि प्रदोष: शनिवार को आने वाले प्रदोष व्रत का महत्व भी अत्यधिक है।
प्रदोष व्रत की कथा और विधि को श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से मनुष्य को अभिष्ट फल की प्राप्ति होती है।
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