Narwar Fort |नल और दमयन्ती की प्रेम कहानी |किले इतना खजाना कि भारत की गरीबी मिट जाऐ |पसार माता मंदिर
Автор: Vibhu Film City
Загружено: 2025-08-06
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Narwar Fort |नल और दमयन्ती की प्रेम कहानी |किले इतना खजाना कि भारत की गरीबी मिट जाऐ |पसार माता मंदिर
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नरवर किला, मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित एक विशाल और ऐतिहासिक दुर्ग है, जिसका इतिहास कई सदियों पुराना है। यह किला अपनी शानदार वास्तुकला और राजा-महाराजाओं की कहानियों के लिए जाना जाता है।
*स्थानीय किंवदंतियों और लोक कथाओं के अनुसार, नरवर किले का संबंध महाभारत काल के प्रसिद्ध राजा नल से है। माना जाता है कि इस स्थान को पहले "नलपुरा" के नाम से जाना जाता था और राजा नल ने ही अपनी पत्नी दमयंती के लिए इस किले का निर्माण करवाया था। उनकी प्रेम कहानी आज भी इस किले के इतिहास से जुड़ी हुई है।
विभिन्न राजवंशों का शासन
इस किले ने कई राजवंशों के उत्थान और पतन को देखा है:
कछवाहा राजपूत (10वीं सदी): 10वीं शताब्दी में कछवाहा राजपूतों ने इस क्षेत्र पर अधिकार कर लिया और माना जाता है कि उन्होंने इस किले का पुनर्निर्माण कराया।
प्रतिहार और तोमर राजपूत: 12वीं शताब्दी से लगातार प्रतिहार और तोमर राजपूतों ने भी इस पर शासन किया।
मालवा सल्तनत और मुग़ल: 14वीं शताब्दी में मालवा के सुल्तानों ने इसे अपने अधीन कर लिया। इसके बाद, 16वीं शताब्दी में यह किला मुगलों के नियंत्रण में आ गया। इस दौरान किले की वास्तुकला में मुगल शैली का प्रभाव भी देखने को मिलता है। सिकंदर लोदी ने 1508 ई. में इस किले पर छह महीने तक घेराबंदी की थी।
मराठा और सिंधिया: 19वीं शताब्दी की शुरुआत में, मराठा शासक सिंधिया ने इस किले पर कब्जा कर लिया और यह 1808 तक एक सामंती राज्य के रूप में काम करता रहा।
किले की वास्तुकला और अन्य तथ्य
यह किला विंध्य पर्वतमाला की एक पहाड़ी पर लगभग 500 फीट की ऊँचाई पर स्थित है और 8 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है।
इसकी वास्तुकला में राजपूत और मुगल शैली का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
किले के अंदर कई महल, आंगन और धार्मिक संरचनाएं हैं, जिनमें राजा महल और रानी महल प्रमुख हैं।
माना जाता है कि इस किले में 8 कुएं और 9 बावड़ियाँ थीं, जहाँ से 1600 पनिहारिन (पानी भरने वाली) एक साथ पानी भर सकती थीं।
किले के मुख्य द्वार पर स्थित पसरदेवी मंदिर की कहानी भी राजा नल और दमयंती से जुड़ी है, जहाँ कुलदेवी खजाने की रक्षा के लिए द्वार पर लेट गई थीं।
आज नरवर किला भले ही खंडहर की स्थिति में है, लेकिन यह अपने गौरवशाली इतिहास और स्थापत्य कला की कहानियों को बयां करता है।
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