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भक्त मार्कण्डेय । Bhakt Markandeya ne dekhi maya | By Geetsangit with shaktipriya

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Bhakt chandrahas

Markandeya Mahadev Temple

Markandey Mahadev Mandir

Автор: 🌹Geetsangit with shaktipriya🌹

Загружено: 2024-08-05

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भगवान शिव के उपासक ऋषि मृकंदुजी के घर कोई संतान नहीं
थी ।उन्होंने भगवान शिव की कठिन तपस्या की । भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा । उन्होंने संतान मांगी । भगवान शिव ने कहा, ‘‘तुम्हारे भाग्य में संतान नहीं है । तुमने हमारी कठिन भक्ति की है इसलिए हम तुम्हें एक पुत्र देते हैं । लेकिन उसकी आयु केवल सोलह वर्ष की होगी ।’’

कुछ समय के बाद उनके घर में एक पुत्र ने जन्म लिया । उसका नाम मार्कंडेय रखा । पिता ने मार्कंडेय को शिक्षा के लिए ऋषि मुनियों के आश्रम में भेज दिया । पंधरा वर्ष व्यतीत हो गए । मार्कंडेय शिक्षा लेकर घर लौटे । उनके माता- पिता उदास थे । जब मार्कंडेय ने उनसे उदासी का कारण पूछा तो पिता ने मार्कंडेय को सारा हाल बता दिया । मार्कंडेय ने पिता से कहा कि उसे कुछ नहीं होगा ।

माता-पिता से आज्ञा लेकर मार्कंडेय भगवान शिव की तपस्या करने चले गए । उन्होंने महामृत्युंजय मंत्र की रचना की । एक वर्ष तक उसका जाप करते रहे । जब सोलह वर्ष पूर्ण हो गए, तो उन्हें लेने के लिए यमराज आए । वे शिव भक्ति में लीन थे । जैसे ही यमराज उनके प्राण लेने आगे बढे तो मार्कंडेय शिवलिंग से लिपट गए । उसी समय भगवान शिव त्रिशूल उठाए प्रकट हुए और यमराज से कहा कि इस बालक के प्राणों को तुम नहीं ले जा सकते । हमने इस बालक को दीर्घायु प्रदान की है । यमराज ने भगवान शिव को नमन किया और वहाँ से चले गए ।
तब भगवान शिव ने मार्कंडेय को कहा, ‘तुम्हारे द्वारा लिखा गया यह मंत्र हमें अत्यंत प्रिय होगा । भविष्य में जो कोई इसका स्मरण करेगा हमारा आशीर्वाद उस पर सदैव बना रहेगा’।इस मंत्र का जप करने वाला मृत्यु के भय से मुक्त हो जाता है और भगवान शिव की कृपा उस पर हमेशा बनी रहती है ।
यही बालक बड़ा होकर मार्कंडेय ऋषि के नाम से विख्यात हुआ

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मार्कण्डेय महादेव मंदिर । Markandeya Mahadev Temple, Kaithi Varanasi | By Geetsangit with shaktipriya

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नमस्कार मैं अनीश वर्मा आपका अपने यूट्यूब चैनल स्वागत करता हूं आज हम जाने वाले हैं मार्कंडेय महादेव
आखिरभगवान भोलेनाथ ने मार्कंडेय ऋषि को वह कौन सा मंत्र दिया जिसके कारण वहां अमर हो गए जानने के लिए पूरा वीडियो जरूर देखें

 यह मंदिर बनारस से करीब 30 किमी दूर गंगा-गोमती के संगम तट पर स्थित है। मार्कंडेय महादेव मंदिर शिवभक्तों के लिए बहुत खास माना जाता है। यहां सावन में शिवभक्तों का तांता लग जाता है। यह मंदिर वाराणसी गाजीपुर राजमार्ग पर कैथी गांव के पास है। यहां सावन माह में भी एक माह का मेला लगता है। मार्कण्डेय महादेव मंदिर उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थलों में से एक है। विभिन्न प्रकार की परेशानियों से ग्रसित लोग अपनी दुःखों को दूर करने के लिए यहां आते हैं। श्री मारकंडेश्वर महादेव धाम यह पूर्वांचल के प्रमुख देवालयों में से एक है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों के समकक्ष वाले इस धाम कि चर्चा श्री मार्कंडेय पुराण में भी की गयी है। आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, भौगोलिक, शैक्षिक ऐतिहासिक और पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण लगभग 15000 की आबादी वाला कैथी गांव, वाराणसी-गाजीपुर राष्टकृीय राजमार्ग के 28वें किलोमीटर पर स्थित है। 
धर्म ग्रंथों के अनुसार मार्कण्डेय ऋषि अमर हैं। आठ अमर लोगों में मार्कण्डेय ऋषि का भी नाम आता है। इनके पिता मर्कण्डु ऋषि थे। जब मर्कण्डु ऋषि को कोई संतान नहीं हुई तो उन्होंने अपनी पत्नी के साथ भगवान शिव की आराधना की। उनकी तपस्या से प्रकट हुए भगवान शिव ने उनसे पूछा कि वे गुणहीन दीर्घायु पुत्र चाहते हैं या गुणवान 16 साल का अल्पायु पुत्र। तब मर्कण्डु ऋषि ने कहा कि उन्हें अल्पायु लेकिन गुणी पुत्र चाहिए। भगवान शिव ने उन्हें ये वरदान दे दिया।
जब मार्कण्डेय ऋषि 16 वर्ष के होने वाले थे, तब उन्हें ये बात अपनी माता द्वारा पता चली। अपनी मृत्यु के बारे में जानकर वे विचलित नहीं हुए और शिव भक्ति में लीन हो गए। इस दौरान सप्तऋषियों की सहायता से ब्रह्मदेव से उनको महामृत्युंजय मंत्र की दीक्षा मिली। इस मंत्र का प्रभाव यह हुआ कि जब यमराज तय समय पर उनके प्राण हरने आए तो शिव भक्ति में लीन मार्कण्डेय ऋषि को बचाने के लिए स्वयं भगवान शिव प्रकट हो गए और उन्होंने यमराज के वार को बेअसर कर दिया। बालक मार्कण्डेय की भक्ति देखकर भगवान शिव ने उन्हें अमर होने का वरदान दिया।
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