मार्कण्डेय महादेव मंदिर, कैथी, काशी
Автор: Dr.Chandra Shekhar Singh Suryavanshi
Загружено: 2025-08-25
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मार्कण्डेय महादेव की कथा के अनुसार, ऋषि मृकण्ड के पुत्र मार्कण्डेय को अल्पायु का वरदान मिला था. 14 वर्ष की आयु पूरी होने पर, जब यमराज उनके प्राण लेने आए, तब शिवभक्त मार्कण्डेय शिवलिंग से लिपट गए और भगवान शिव ने प्रकट होकर यमराज को पराजित किया, मार्कण्डेय को अमरत्व का वरदान दिया, और यमराज को वापस लौटा दिया. इस घटना के बाद, वह स्थान मार्कण्डेय महादेव मंदिर के रूप में प्रसिद्ध हुआ.
कथा का विस्तार
1. जन्म और अल्पायु का वरदान:
ऋषि मृकण्ड और उनकी पत्नी को भगवान शिव से पुत्र प्राप्ति का वरदान मिला, लेकिन साथ ही यह भी बताया गया कि उनके पुत्र की आयु केवल 14 वर्ष होगी.
2. मार्कण्डेय की शिव भक्ति:
कुछ समय बाद, जब ऋषि मार्कण्डेय को अपनी अल्पायु के बारे में पता चला, तो उन्होंने स्वयं भगवान शिव की कठोर तपस्या शुरू कर दी.
3. यमराज का आगमन:
अपनी 14वीं आयु पूरी होने पर, यमराज मार्कण्डेय के प्राण लेने आए.
4. भगवान शिव का प्रकट होना:
मार्कण्डेय शिवलिंग से लिपट गए और शिव की भक्ति में लीन थे. यमराज के प्रयास करने पर, भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए.
5. वरदान की प्राप्ति:
भगवान शिव ने यमराज को आदेश दिया कि वे मार्कण्डेय के प्राण न लें और उन्हें दीर्घायु व अमरत्व का वरदान दिया.
महत्व और मान्यताएँ
यह मंदिर भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है.
पुत्र प्राप्ति और पति की लंबी आयु के लिए यहां पूजा-अर्चना की जाती है.
महाशिवरात्रि और सावन के महीने में भक्तों की भारी भीड़ रहती है.
राम नाम लिखकर चढ़ाया गया बेलपत्र संतान की आयु बढ़ाने में सहायक होता है.
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