चंचल मन को स्थिर कैसे करें? आत्मा तक पहुंचाने का मार्ग। सदगुरु श्री अभिलाष साहेब जी
Автор: KABIR KA ADHYATMA
Загружено: 2025-09-22
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मन का स्वभाव चंचल है। यह एक क्षण में इधर-उधर भटक जाता है। जब तक मन पर नियंत्रण नहीं होता, तब तक साधना, ज्ञान और सुख की प्राप्ति कठिन होती है। मन को स्थिर करने के लिए सबसे पहले आत्म-जागरूकता आवश्यक है। जैसे ही मन भटकता है, तुरंत सजग होकर उसे वर्तमान क्षण में लाना चाहिए।
ध्यान और प्राणायाम मन को शांत करने के सबसे सरल उपाय हैं। गहरी श्वास लेने से मन की गति धीमी होती है और विचारों का तूफ़ान शांत होने लगता है। नियमित ध्यान से मन स्थिर होकर आत्मा की ओर मुड़ता है।
सत्संग, पवित्र विचार और अच्छे कर्म भी मन को भटकने से रोकते हैं। जब मन को उच्च लक्ष्य और सही दिशा मिलती है, तो उसकी चंचलता स्वतः कम हो जाती है।
अंत में, स्मरण रखना चाहिए कि मन को बलपूर्वक दबाना नहीं है, बल्कि प्रेम और धैर्य से उसे साधना है। धीरे-धीरे अभ्यास करने से चंचल मन भी स्थिर होकर शांति और आनंद का अनुभव कराने लगता है।
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