बीसलदेव रासो/Bisaldev Raso
Автор: साहित्यिक झरोखा
Загружено: 2024-12-05
Просмотров: 2065
Описание:
बीसलदेव रासो पुरानी पश्चमी राजस्थानी की एक सुप्रसिद्ध रचना है। इसके रचनाकार नरपति नाल्ह हैं। इस रचना में उन्होंने कहीं पर स्वयं को "नरपति" कहा है और कहीं पर "नाल्ह"। सम्भव है कि नरपति उनकी उपाधि रही हो और "नाल्ह" उनका नाम हो। बीसलदेव रासो" की रचना चौदहवीं शती विक्रमी की मानी जाती है। इस काव्य में वीर और श्रृंगार का अच्छा मेल है। इसमें श्रृंगार ही प्रधान रस है,वीर रस केवल आभास मात्र है। श्रृंगार रस की दृष्टि से विवाह और रूठकर विदेश जाने का मनमाना वर्णन है। यह घटनात्मक काव्य नहीं,वर्णात्मक काव्य लगती है।इसकी भाषा को देखते हैं तो वह साहित्यिक नहीं राजस्थानी है। साहित्य की सामान्य भाषा हिन्दी है ही थी जो "पिंगल' भाषा कहलाती थी।
• 'पृथ्वीराज रासो' चंदबरदाई/Prithviraj Raso
https://t.me/DrSaharan2020
#hindi#sahitya
Повторяем попытку...
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео
-
Информация по загрузке: