Seemantonayan Sanskar सीमंतोन्नायन संस्कार गोद भराई की रस्म – महत्व और तरीका
Автор: Dr.Kaushlendra Bajpai
Загружено: 2020-06-24
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Seemantonayan Sanskar
सीमंतोन्नायन संस्कार
: ३. सीमन्तोन्नयन (धृति) संस्कार –
गर्भाधान के सीमंतोन्नायन संस्कार गर्भ के चौथे, छठवें और आठवें महीने में किया जाता है। इस समय गर्भ में पल रहा बच्चा सीखने के काबिल हो जाता है। उसमें अच्छे गुण, स्वभाव और कर्म का ज्ञान आए, इसके लिए मां उसी प्रकार आचार-विचार, रहन-सहन और व्यवहार करती है। इस दौरान शांत और प्रसन्नचित्त रहकर माता को अध्ययन करना चाहिए। इस संस्कार में गर्भिणी स्त्री के केशों (सीमन्त) को ऊपर करना” सीमन्त उन्नीयते यस्मिन् कर्मणि तत् सीमन्तोन्नयनम्-वी.मि.
विधि- किसी पुरुष नक्षत्र में चन्द्रमा के स्थित होने पर स्त्री-पुरुष को उस दिन फलाहार करके इस विधि को सम्पन्न किया जाता है। गणेशार्चन, नान्दी, प्राजापत्य आहुति देना चाहिए। पत्नी अग्नि के पश्चिम आसन पर आसीन होती है और पति गूलरके कच्चे फलों का गुच्छ, कुशा, साही के कांटे लेकर उससे पत्नी के केश संवारता है -महाव्याहृतियों का उच्चारण करते हुए। अयभूर्ज्ज स्वतो वृक्ष ऊर्ज्ज्वेव फलिनी भव – पा.गृ. सूत्र | इस अवसर पर मंगल गान, ब्राह्मण भोजन आदि कराने की प्रथा थी।
शुभ मुहूर्त मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, मूल, उत्तरात्रय, रोहिणी, रेवती इन में से किसी नक्षत्र में व रवि, मंगल, गुरु इन वारों तथा १, २, ३, ५, ७, १०, ११, १३ इन तिथियों में किसी तिथि में
गोद भराई क्या है
‘गोद भराई’ का अर्थ है ‘एक गर्भवती महिला की गोद भरने की रस्म’। यह एक प्राचीन भारतीय परंपरा है जिसे पश्चिमी देशों में ‘बेबी शावर’ के नाम से जाना जाता है। यह मातृत्व के आगमन का उत्सव है और यह उन महिलाओं के लिए एक सहायक के रूप में कार्य करता है जो अपनी गर्भावस्था के अंतिम चरण में होती हैं।
भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में इस पवित्र अनुष्ठान को विभिन्न रस्मों के साथ मनाया जाता है,
माता बनना इस सृष्टि की एक अतंत्य सुखद घटना है। भारत में स्त्री गर्भवती बनने के बाद कई ऐसे अनुष्ठान है जो उत्सव स्वरुप मनाये जाते है।
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