श्रीकृष्ण अर्जुन को कर्मयोग का उपदेश देते हैं। इसका सार इस प्रकार है—
Автор: dhiganga(धीगंगा)
Загружено: 2025-11-27
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श्रीकृष्ण अर्जुन को कर्मयोग का उपदेश देते हैं। इसका सार इस प्रकार है
1. कर्म करना अनिवार्य है
श्रीकृष्ण कहते हैं कि कोई भी व्यक्ति कर्म किए बिना क्षणभर भी नहीं रह सकता। इसलिए कर्म करना ही मनुष्य का धर्म है।
2. कर्म त्याग नहीं, कर्म योग श्रेष्ठ है
सिर्फ कर्मों का त्याग करने से सिद्धि नहीं मिलती। कर्म करते हुए ईश्वर को अर्पित करना— यही श्रेष्ठ मार्ग है।
3. निष्काम कर्म का महत्व
कर्म ऐसे करो कि उसमें फल की इच्छा न हो। फल की इच्छा बंधन बनाती है, और बिना इच्छा का कर्म मुक्ति देता है।
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