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राम निर्गुण हैं, या सगुण? दोनों रास्तों पर एक साथ कैसे चलें? || आचार्य प्रशांत (2024)

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Автор: आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

Загружено: 2024-07-21

Просмотров: 166319

Описание: 🧔🏻‍♂️ आचार्य प्रशांत से समझे गीता और वेदांत का गहरा अर्थ, लाइव ऑनलाइन सत्रों से जुड़ें:
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वीडियो जानकारी: 07.07.24, अनौपचारिक सत्र, ग्रेटर नॉएडा

राम निर्गुण हैं, या सगुण? दोनों रास्तों पर एक साथ कैसे चलें? || आचार्य प्रशांत (2024)

📋 Video Chapters:
0:00 - Intro
1:01 - सत्य का स्वरूप: सगुण और निर्गुण
1:43 - आचार्य शंकराचार्य का दृष्टिकोण
2:50 - व्यवहारिक सत्य का अनुभव
4:11 - सगुण से निर्गुण की यात्रा
5:49 - द्वैत और अद्वैत का संबंध
6:33 - अवतार और गुरु का महत्व
8:43 - अद्वैत और अद्वैत दर्शन द्वारा बताए गए सत्य के दो तल
12:05 - दर्शन और थियोलॉजी का अंतर
13:01 - कल्पना से निर्मित भगवान
16:00 - निर्गुण-अद्वैत और सगुण-भक्ति सब एक
16:30 - सगुण:- शुरुआत, निर्गुण:- अंत
19:38 - अहंकार की धारणा belief system
20:16 - अद्वैत का आकाश : सभी के लिए स्थान
25:04 - समापन

विवरण:
इस वीडियो में आचार्य प्रशांत सगुण और निर्गुण के बीच के संबंध को स्पष्ट करते हैं। वे बताते हैं कि सगुण द्वैत वह स्थान है जहां से हमारी यात्रा शुरू होती है, जबकि निर्गुण अद्वैत वह स्थान है जहां हमारी यात्रा समाप्त होती है। आचार्य जी का कहना है कि ये दोनों एक ही मार्ग के दो छोर हैं और इन्हें अलग नहीं किया जा सकता।

वे यह भी बताते हैं कि सगुण और निर्गुण के बीच कोई संघर्ष नहीं होना चाहिए, क्योंकि सगुण का अनुभव करते हुए ही हम निर्गुण की ओर बढ़ सकते हैं। आचार्य जी ने यह स्पष्ट किया कि हमें द्वैत और अद्वैत दोनों को स्वीकार करना चाहिए, क्योंकि द्वैत हमारी दैनिक वास्तविकता है और अद्वैत हमारी अंतिम सत्यता है।

आचार्य जी ने यह भी कहा कि जो लोग केवल निर्गुण की बात करते हैं, वे पाखंडी हो जाते हैं, क्योंकि वे सगुण के अनुभव को नकारते हैं। अंत में, उन्होंने यह बताया कि अद्वैत में सभी धाराओं के लिए जगह है और यह सभी को एक साथ लाने का माध्यम है।

प्रसंग:
~ साकार की उपासना कैसे करें ?
~ मूर्त की उपासना अच्छी या अमूर्त की?
~ सगुण से निर्गुण तक कैसे जाएँ?

🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
https://open.spotify.com/show/3f0KFwe...

संगीत: मिलिंद दाते
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राम निर्गुण हैं, या सगुण? दोनों रास्तों पर एक साथ कैसे चलें? || आचार्य प्रशांत (2024)

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