ब्रह्मा जी का संदेशा लेकर स्वयं महाकाल श्री राम से मिलने के लिए आए | रामायण | दिव्य कथाएँ
Автор: Tilak
Загружено: 2025-04-28
Просмотров: 175986
Описание:
"लव कुश राजसी वस्त्र धारण करके अयोध्या के राजकुमार बनने के पश्चात वे दोनों अपनी माता सीता की स्वर्ण प्रतिमा को पुष्प चढ़ाते है तथा परिवार के सभी वरिष्ठ जनों से आशीर्वाद लेते है। तत्पश्चात श्री राम अपने पुत्रों के साथ सुखमय जीवन बिताते हुए कई काल तक अयोध्या में राज करते है और रामराज्य में प्रजा अत्यंत सुखी थी। श्री राम ने अपनी माताओं के परलोक गमन करने के पश्चात अपना राज्य अपने और अपने भाइयों के पुत्रों में बांट देते है। एक दिन श्री राम से मिलने एक ऋषि आते है और उनसे एकांत में वार्तालाप करना चाहते है, इसलिए वह श्री राम से वचन लेते है कि यदि कोई उनकी बात को सुने या वार्तालाप करते देख ले, तो उसे वह प्राणदण्ड देंगे। अतः वार्तालाप की गोपनीयता के लिए श्रीराम लक्ष्मण को स्वयं महल के द्वार पर पहरा देने का आदेश देते है। एकांत होने पर ऋषि महाकाल के रुप में आकर श्री राम को प्रणाम करते हुए ब्रह्मा जी के संदेशा सुनाते है कि उन्होंने जिस कार्य के लिए मृत्युलोक में अवतार लिया था, अब वह पूर्ण हो चुका है तथा आपने अपनी जो आयु निश्चित की थी, वो भी पूरी हो चुकी है, अतः आपके अपने परम धाम में पधारने के समय आ गया है। श्री राम महाकाल से ब्रह्मा जी तक अपनी सहमति पहुंचाने के लिए कहते है। उसी समय श्री राम से मिलने के लिए राजमहल के द्वार पर महर्षि दुर्वासा आते है और लक्ष्मण के द्वारा रोके जाने पर पूरी अयोध्या को भस्म करने की चेतावनी देते है। धर्मसंकट में पड़े लक्ष्मण अयोध्या की रक्षा के लिए अपनी मृत्यु को चुनते है और महल के कक्ष में जाकर महाकाल और श्री राम के मध्य हो रही वार्ता के बीच दुर्वासा ऋषि के आने के सूचना देते है। वार्ता में व्यवधान उत्पन्न होने पर महाकाल अंतर्धान हो जाते है। जिससे श्री राम के सामने महाकाल को दिए गए वचन को निभाने का धर्मसंकट आ जाता है।
महाकाव्य रामायण का एक अति महत्वपूर्ण काण्ड है - उत्तर काण्ड अर्थात उत्तर रामायण, रावण के वध के पश्चात श्री राम के सीता सहित अयोध्या वापस आकर राजसिंहासन संभालने की कथा, एक बार पुनः श्री राम सीता के बिछड़ने की कथा, लव-कुश की कथा। श्री राम के राजकीय जीवन और पारिवारिक जीवन के अंतर्द्वंद्व का चित्रण, जिसे रामायण धारावाहिक की सफलता के पश्चात जन भावना को ध्यान में रखते हुए रामानंद सागर जी ने रविन्द्र जैन के मधुर गीत-संगीत से लयवद्ध करा के “उत्तर रामायण” के रूप में प्रस्तुत किया। “तिलक” अपने इस नये संकलन “गीत-संवाद” में उत्तर रामायण के अनेक काव्यबद्ध प्रसंगों को आपके समक्ष प्रस्तुत करेगा। भक्ति भाव से इनका आनन्द लीजिये और तिलक से जुड़े रहिये।
#tilak #ramayan #kathayen #divyakathayen #ayodhya #ayodhyarammandir #rammandir"
Повторяем попытку...
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео
-
Информация по загрузке: