Anuswar
Автор: Sanskrit Station
Загружено: 2021-11-01
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संस्कृत भाषा -
विश्व की प्राचीन एवं समृद्ध भाषा
व्याकरणं -वर्णमाला के प्रत्येक वर्ग के पांचवें वर्णों के समूह को पंचमाक्षर या पंचमाक्षर' कहते हैं (पञ्चमाक्षर = पञ्चम अक्षर = पाँचवाँ अक्षर)। देवनागरी में ङ, ञ, ण, न तथा म पंचमाक्षर हैं।
पंचमाक्षर अर्थात् वर्णमाला में किसी वर्ग का पाँचवाँ व्यंजन। जैसे- 'ङ', 'ञ', 'ण' आदि।
चंचल: चञ़्चल
झंडा: झण्डा
गंगा: गड्.गा
मंद: मन्द
गंगा (ग ड्.गा), झंडा (झण्डा), चंचल (चञ़्चल), मंद (मन्द), संबल (सम्बल) आदि वर्णों में अनुस्वार (ॱ ) के बाद आने वाले वर्ण का सम्बन्ध जिस वर्ग के साथ है, अनुस्वार उसी वर्ग के पाँचवें वर्ण के स्थान-पर प्रयुक्त हो रहा है। यही पंचम वर्ण के प्रयोग का नियम है।[1]
वर्ग वर्ण
‘क’ वर्ग क् ख् ग् घ् ङ्
‘च’ वर्ग च् छ् ज् झ् ञ़्
‘ट‘ वर्ग ट् ठ् ड् ढ् ण्
‘त’ वर्ग त् थ् द् ध् न्
‘प’ वर्ग प् फ् ब् भ् म्
बिन्दी का प्रयोग
आजकल पंचमाक्षरों के बदले में बिन्दी का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। इसका प्रयोग निम्नानुसार होता है-
'क' वर्ग के पहले चार अक्षरों (क, ख, ग, घ) के साथ जब इसका पंचमाक्षर 'ङ' संयुक्त होता है, तब ङ् (आधा ङ) के बदले में बिन्दी का प्रयोग होता है।[2]
उदाहरण
अङ्क = अंक, शङ्ख = शंख, गङ्गा = गंगा, सङ्घ = संघ।
'च' वर्ग के पहले चार अक्षरों (च, छ, ज, झ) के साथ जब इसका पंचमाक्षर 'ञ' संयुक्त होता है, तब ञ् (आधा ञ) के बदले में बिन्दी का प्रयोग होता है।
उदाहरण
चञ्चल = चंचल, अञ्जन = अंजन
'ट' वर्ग के पहले चार अक्षरों (ट, ठ, ड, ढ) के साथ जब इसका पंचमाक्षर 'ण' संयुक्त होता है, तब ण् (आधा ण) के बदले में बिन्दी का प्रयोग होता है।
उदाहरण
घण्टी = घंटी, कण्ठ = कंठ, ठण्ड = ठंड
'त' वर्ग के पहले चार अक्षरों (त, थ, द, ध) के साथ जब इसका पंचमाक्षर 'न' संयुक्त होता है, तब न् (आधा न) के बदले में बिन्दी का प्रयोग होता है।
उदाहरण
दन्त = दंत, ग्रन्थ = ग्रंथ, हिन्दी = हिंदी, गन्ध = गंध।
'प' वर्ग के पहले चार अक्षरों (प, फ, ब, भ) के साथ जब इसका पंचमाक्षर 'म' संयुक्त होता है, तब म् (आधा म) के बदले में बिन्दी का प्रयोग होता है।
उदाहरण
चम्पा = चंपा, गुम्फ = गुंफ, अम्बा = अंबा, आरम्भ = आरंभ।
उपर्युक्त नियम संस्कृतनिष्ठ शब्दों पर लागू होते हैं। अन्य शब्दों पर बिन्दी का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा सकता है। जहाँ पंचमाक्षर अपने वर्ग के चार अक्षरों के अतिरिक्त किसी और अक्षर के साथ संयुक्त हो रहा हो, वहाँ बिन्दी के प्रयोग की अनुमति नहीं है। जैसे- वाङ्मय, अन्य, उन्मुख इत्यादि। पंचम वर्ण जब दुबारा आये, तब भी बिन्दी का प्रयोग नहीं होता, जैसे- अन्न, सम्मेलन, सम्मति इत्यादि।
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