ycliper

Популярное

Музыка Кино и Анимация Автомобили Животные Спорт Путешествия Игры Юмор

Интересные видео

2025 Сериалы Трейлеры Новости Как сделать Видеоуроки Diy своими руками

Топ запросов

смотреть а4 schoolboy runaway турецкий сериал смотреть мультфильмы эдисон
Скачать

हिन्द यवन आक्रमण indo greek history in hindi Indo-Greek invasion

Ancient history

Medieval history

Modern history

प्राचीन इतिहास

मध्यकालीन इतिहास

आधुनिक इतिहास

world history

भारत का इतिहास

दक्षिण भारत

उत्तर भारत का इतिहास

india history

south india history

Автор: History Audio

Загружено: 2020-05-06

Просмотров: 23

Описание: #Indo-#Greekinvasion
उत्तर पश्चिमी से विदेशियों के आक्रमण मौर्योत्तर काल की सबसे महत्त्वपूर्ण राजनीतिक घटना थी। इनमें सबसे पहले आक्रांता थे #बैक्ट्रिया के ग्रीक, जिन्हें पूर्ववर्ती भारतीय साहित्य में #यवन के नाम से सम्बोधित किया गया है। सिकन्दर ने अपने पीछे एक विशाल साम्राज्य छोड़ा था, जिसमें #मैसीडोनिया, #सीरिया, बैक्ट्रिया, #पार्थिया, #अफ़ग़ानिस्तान एवं उत्तर पश्चिमी भारत के कुछ भाग सम्मिलित थे। इस साम्राज्य का काफ़ी बड़ा भाग सिकन्दर के बाद सेल्युकस के अधीन रहा। यद्यपि अफ़ग़ानिस्तान एवं भारत के उत्तर पश्चिम के भाग उसे #चंद्रगुप्त मौर्य को समर्पित कर देने पड़े थे। #सेल्यूकस एवं उसके तुरन्त बाद के अधिकारी कुशल शासक थे किन्तु उनके परवर्ती शासकों के अधीन साम्राज्य का विघटन प्रारम्भ हो गया। लगभग ई. पू. 250 में बैक्ट्रिया के गवर्नर डियोडोटस एवं पार्थिया के गवर्नर औरेक्सस ने अपने आपको स्वतंत्र घोषित कर दिया। बैक्ट्रिया के दूसरे राजा डियोडोटस द्वितीय ने अपने देश सेल्युकस के साम्राज्य से पूर्णतः अलग कर लिया।

डियाडोटस एवं उसका उत्तराधिकारी मध्य एशिया में अपना साम्राज्य सुगठित करने में व्यस्त रहे किन्तु उनके बाद के एक शासक डेमेट्रियस प्रथम (ई. पू. 220--175) ने भारत पर आक्रमण किया। ई. पू. 183 के लगभग उसने पंजाब का एक बड़ा भाग जीत लिया और साकल को अपनी राजधानी बनाया। डेमेट्रियस ने भारतीयों के राजा की उपाधि धारण की और यूनानी तथा खरोष्ठी दोनों लिपियों वाले सिक्के चलाए। किन्तु जब डेमेट्रियस भारत में व्यस्त था, स्वयं बैक्ट्रिया में एक युक्रेटीदस की अध्यक्षता में विद्रोह हो गया और डेमेट्रियस को बैक्ट्रिया से हाथ धोना पड़ा। युक्रेटीदस भी भारत की ओर बढ़ा और कुछ भागों को जीतकर उसने तक्षशिला को अपनी राजधानी बनाया।

युक्रेटीदस के सिक्के बैक्ट्रिया, सीस्तान, काबुल की घाटी, कपिश और गंधार में मिले हैं। सम्भवतः झेलम तक पश्चिमी पंजाब को उसने अपने राज्य में मिला लिया। यद्यपि वह और आगे न बढ़ सका। डेमेट्रियस का अधिकार पूर्वी पंजाब और सिंध पर ही रह गया। भारत में यवन साम्राज्य इस प्रकार दो कुलों में बंट गया -

डेमेट्रियस
युक्रेटीदस के वंश।
सबसे प्रसिद्ध यवन शासक मीनान्डर था (ई. पू. 160--120), जो बौद्ध साहित्य में 'मिलिन्द' के नाम से प्रसिद्ध है। यह सम्भवतः डेमेट्रियस के कुल का था। पेरिप्लस में लिखा है कि मीनान्डर के सिक्के भड़ोच के बाज़ारों में खूब चलते थे। स्वात की घाटी में एक मंजूषा मिली है जिस पर मीनान्डर का नाम ख़ुदा है। इन प्रमाणों से स्पष्ट है कि मीनान्डर के राज्य में अफ़ग़ानिस्तान का कुछ भाग और उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रदेश सम्मिलित थे।
स्ट्राबो ने लिखा है कि यूनानियों ने गंगा नदी और पाटलिपुत्र तक आक्रमण किए।
पतंजलि के महाभाष्य में उल्लेख आया है कि यूनानियों ने अवध में साकेत और राजस्थान में चित्तौड़ के निकट माध्यमिका का घेरा डाला।
गार्गी संहिता के 'युगपुराण' अध्याय से ज्ञात होता है कि दुष्ट, वीर यवनों ने साकेत, पंचाल (गंगा - यमुना दोआब) और मथुरा को जीतकर पाटलिपुत्र तक धावा मारा, किन्तु घरेलू युद्धों के कारण वे तुरन्त लौट आए।
कुछ इतिहासकारों का मत है कि ये वर्णन मीनान्डर के भारतीय आक्रमणों से सम्बद्ध है। हाल ही में कौशांबी (इलाहाबाद) के पास रेह से प्राप्त एक संक्षिप्त अभिलेख में इस बात की पुष्टि होती है। इस अभिलेख में मीनान्डर का स्पष्ट उल्लेख है।
पुरातात्विक साक्ष्यों से भी इस बात के संकेत मिले हैं कि गंगा घाटी में ई. पू. दूसरी शती के मध्य में काफ़ी विध्वंस हुआ। पुष्यमित्र शुंग के राज्यकाल का प्रारम्भ लगभग ई. पू. 187 में हुआ था और मीनान्डर का समय इससे बहुत बाद में है। मीनान्डर के सिक्के काबुल से मथुरा और [बुंदेलखंड]] तक मिले हैं। बौद्ध ग्रंथ मिलिन्दपन्ह में मीनान्डर के बौद्ध भिक्षु नागसेन के साथ वाद - विवाद के उपरान्त बौद्ध धर्म का अनुयायी बनने की कथा है। इसकी राजधानी साकल शिक्षा का प्रसिद्ध केन्द्र थी और वैभव एवं ऐश्वर्य में यह पाटलिपुत्र की समता करती थी। यह व्यापार का एक बड़ा केन्द्र भी थी। भारत में यवन राज्य दीर्घकालीन न हो सका, क्योंकि राजनीतिक एवं भौगोलिक कारणों से मध्य एशिया में क़बीलों का आना प्रारम्भ हो गया। चीनी सम्राट 'शी हुआंग ती' द्वारा वहाँ विशाल दीवार बना देने एवं उस क्षेत्र में चरागाह सूख जाने के कारण कई क़बीले वहाँ से पश्चिम की ओर चल पड़े। उनके दबाव के कारण 'सीथियन' जिन्हें भारतीय स्रोतों में 'शकों' का नाम दिया गया है, अपना स्थान छोड़कर आगे बढ़ते हुए बैक्ट्रिया में आए और उस पर अपना अधिकार स्थापित किया। किन्तु यूची क़बीला अब भी उनके पीछे था, अतः और आगे बढ़ते हुए उन्होंने पहले पार्थिया और भारत के इंडो ग्रीक राज्यों पर आक्रमण किया और वहाँ अपना अधिकार स्थापित किया।
#Indianhistory #ancientIndia #MedievalIndia #Historyofmodern #IndiaHistoryofIndia
This channel is designed to give information about Indian history.
History of India is considered to be thousands of years old. History of India from the rise of human to the tenth century is called the history of ancient India.
In 632 AD, after the death of 'Hazrat Muhammad', his successors won Syria, Egypt, North Africa, Spain, and Iran within 6 years. At this time, the caliph empire stretched from the lair of France to the Axis and the Kabul river. The eyes of the Arabs inspired by this victory campaign fell on the Indian border. He used both the waters and the two ways to speak on India, but he did not achieve any significant success until 712 AD. This was the time when the Sufi movement in India started in Medieval India.

History of modern India is clearly divided into two parts. The military revolt of 1857, and national movement

Не удается загрузить Youtube-плеер. Проверьте блокировку Youtube в вашей сети.
Повторяем попытку...
हिन्द यवन आक्रमण indo greek history in hindi Indo-Greek invasion

Поделиться в:

Доступные форматы для скачивания:

Скачать видео

  • Информация по загрузке:

Скачать аудио

Похожие видео

© 2025 ycliper. Все права защищены.



  • Контакты
  • О нас
  • Политика конфиденциальности



Контакты для правообладателей: [email protected]