भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 से 4 (Article 1 to 4 Indian Constitution)
Автор: Life Of Law
Загружено: 2025-12-11
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यह वीडियो भारतीय संविधान के भाग 1 (संघ और उसका राज्य क्षेत्र) और अनुच्छेद 1 से 4 की विस्तृत व्याख्या करता है, जिसमें भारत में राज्यों के पुनर्गठन और अखंड भारत के विभाजन का इतिहास शामिल है।
वीडियो में दिए गए मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
संविधान का भाग 1: संघ और उसका राज्य क्षेत्र (Union and Its Territory)
भाग 1 में अनुच्छेद 1 से 4 शामिल हैं, जो भारत के क्षेत्र और राज्यों के गठन से संबंधित हैं।
अनुच्छेद 1: भारत राज्यों का एक संघ है (India, that is Bharat, shall be a Union of States)
भारत एक यूनियन है, फेडरेशन नहीं । इसका मतलब है कि भारत के किसी भी राज्य को इससे अलग होने का अधिकार नहीं है (जैसे अमेरिका एक फेडरेशन है, जहाँ राज्य समझौते से बने हैं)
राज्यों के नाम पहली अनुसूची में दिए गए हैं
भारत में राज्यों की तीन श्रेणियाँ हैं: राज्य (States), केंद्र शासित प्रदेश (Union Territories), और अधिग्रहित क्षेत्र (Acquired Territories)
अनुच्छेद 2: विदेशी राज्यों को भारत में मिलाना
संसद को यह अधिकार है कि वह भारत के बाहर के किसी भी नए क्षेत्र को भारत में शामिल कर सकती है।
संसद ऐसा करने से पहले राष्ट्रपति की पूर्व सूचना/अनुमति लेती है, जो केवल एक औपचारिकता है
उदाहरण: सिक्किम को 35वें संशोधन (1974) द्वारा सहयोगी राज्य (Associate State) बनाया गया, और फिर 36वें संशोधन (1975) द्वारा भारत का 22वां राज्य बनाया गया
अनुच्छेद 3: भारत के वर्तमान राज्यों में बदलाव [14:09]
संसद को यह अधिकार है कि वह भारत के वर्तमान राज्यों के नाम बदल सकती है, सीमा बदल सकती है (बड़ी या छोटी कर सकती है), या दो राज्यों को तोड़कर/जोड़कर नए राज्य बना सकती है।
संसद ऐसा बिना संबंधित राज्य की सहमति के कर सकती है (जैसे आंध्र प्रदेश को तोड़कर तेलंगाना बनाया गया था)
उदाहरण: उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, और झारखंड का गठन
अनुच्छेद 4: अनुच्छेद 2 और 3 के लिए विशेष प्रावधान ]
जब संसद अनुच्छेद 2 (विदेशी राज्य मिलाना) या अनुच्छेद 3 (राज्यों को तोड़ना/जोड़ना) का प्रयोग करती है, तो उसे एक साधारण बहुमत (50% से अधिक) की आवश्यकता होती है, विशेष बहुमत (66%) की नहीं
इन कानूनों को अनुच्छेद 368 के बाहर रखा गया है, जिसका अर्थ है कि राष्ट्रपति इस पर साइन करने के लिए बाध्य हैं और इसे वापस नहीं कर सकते
जब भी कोई नया राज्य जोड़ा या तोड़ा जाता है, तो अनुसूची एक (राज्यों के नाम) और अनुसूची चार (राज्यसभा की सीटें) में भी बदलाव करना पड़ता है .
अखंड भारत का इतिहास और राज्यों का पुनर्गठन
अखंड भारत के टुकड़े:
1893: डूरंड रेखा खींचकर अफगानिस्तान को अलग किया गया
1935: बर्मा (म्यांमार) को अलग किया गया
1947: पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान (बाद में बांग्लादेश) का विभाजन रेडक्लिफ रेखा द्वारा हुआ
देशी रियासतों का एकीकरण: आजादी के समय भारत में 552 से अधिक देशी रियासतें थीं
सरदार वल्लभ भाई पटेल, वी.पी. मेनन और लॉर्ड माउंटबेटन ने मिलकर इन्हें भारत में मिलाया
तीन रियासतें जिन्होंने विरोध किया:
हैदराबाद: ऑपरेशन पोलो (पुलिस कार्यवाही) द्वारा भारत में मिलाया गया
जूनागढ़: जनमत संग्रह (Referendum) द्वारा भारत में मिलाया गया
जम्मू-कश्मीर: राजा हरि सिंह ने विलय पत्र (Instrument of Accession) पर हस्ताक्षर करके भारत में विलय किया (26 अक्टूबर 1947)
राज्यों के पुनर्गठन की मांग (भाषा के आधार पर):
एस.के. धर आयोग (1948) और जे.वी.पी. कमेटी (1948) ने भाषाई आधार पर राज्यों के गठन का विरोध किया
1953: पोट्टी श्रीरामुलु की 56 दिन की भूख हड़ताल के बाद मृत्यु के कारण मद्रास से अलग होकर आंध्र प्रदेश भाषा के आधार पर गठित होने वाला पहला राज्य बना (तेलुगु भाषा के लिए)
फजल अली आयोग (1953):
सरकार ने इस आयोग का गठन किया, जिसने 1956 में अपनी रिपोर्ट दी
आयोग ने भाषाई आधार पर राज्यों के गठन को स्वीकार किया, लेकिन 'एक भाषा, एक राज्य' के सिद्धांत को खारिज कर दिया
इसकी सिफारिशों को 7वें संशोधन, 1956 द्वारा लागू किया गया, जिसके परिणामस्वरूप 14 राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए
पेप्सू का विभाजन: शाह आयोग की सिफारिश पर 1966 में पंजाब का विभाजन किया गया
पहाड़ी क्षेत्र: हिमाचल प्रदेश
हिंदी भाषी क्षेत्र: हरियाणा
पंजाबी भाषी क्षेत्र: पंजाब
राजधानी: चंडीगढ़ (केंद्र शासित प्रदेश)
वर्तमान स्थिति (वीडियो के अनुसार): भारत में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं
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