#एक
Автор: महाविद्या आश्रम
Загружено: 2020-07-10
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डाकिनी, साकिनी, जल डंकिनी, थल डंकिनी के बारे में हम प्राय कभी ना कभी, कही ना कही सुनते रहते है । पर हमे इन शक्तियों के बारे में कुछ भी पता नही है । आखिर ये क्या है ? इनकी शक्ति क्या है ?
तंत्र जगत में डाकिनी का नाम अति प्रचलित है । प्राय मनुष्य डाकिनी नाम से परिचित हैं । डाकिनी कहते ही मानसपटल में एक उग्र स्वरुप की कृति मष्तिष्क में उत्पन्न होने लगती है । वास्तव में यह ऊर्जा का एक अति उग्र स्वरुप है । डाकिनी की कई परिभाषाएं हैं । एक ऐसी शक्ति जो "डाक ले जाए" । प्राचीनकाल से वर्तमान तक पूर्व के देहातों में डाक ले जाने का अर्थ है । चेतना का किसी भाव की आंधी में पड़कर चकराने लगना और सोचने समझने की क्षमता का लुप्त हो जाना ।
यह शक्ति मूलाधार के शिवलिंग का भी मूलाधार है । तंत्र में काली को भी डाकिनी कहा जाता है । यद्यपि डाकिनी काली की शक्ति के अंतर्गत आने वाली एक अति उग्र शक्ति है । यह काली की उग्रता का प्रतिनिधित्व करती हैं । और इनका स्थान मूलाधार के ठीक बीच में माना जाता है ।
यह प्रकृति की सर्वाधिक उग्र शक्ति है । यह समस्त विध्वंश और विनाश की मूल हैं । इन्ही के कारण काली को अति उग्र देवी कहा जाता है । जबकि काली सम्पूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति की भी मूल देवी हैं । तंत्र में डाकिनी की साधना स्वतंत्र रूप से होती है । और यदि डाकिनी सिद्ध हो जाए तो काली की सिद्धि करना आसान हो जाता है । काली की सिद्धि अर्थात मूलाधार की सिद्धि ।
काली या डाकिनी सिद्धी से अन्य चक्र अथवा अन्य देवी-देवता आसानी से सिद्ध किया जा सकता हैं । फीर उसके लीये कठीन साधना करने की जरूरत नही होती । कम प्रयासों में ही सिद्धी प्राप्त हो जाती है । इस प्रकार सर्वाधिक कठिन डाकिनी नामक काली की शक्ति की सिद्धि ही है ।
डाकिनी नामक देवी की साधना अघोरपंथी तांत्रिकों की प्रसिद्द साधना है । हमारे अन्दर क्रूरता, क्रोध, अतिशय हिंसात्मक भाव, नख और बाल आदि की उत्पत्ति डाकिनी की शक्ति के तरंगों से होती है । डाकिनी की सिद्धि या शक्ति से भूत- भविष्य- वर्त्तमान जानने की क्षमता आ जाती है । किसी को नियंत्रित करने की क्षमता, वशीभूत करने की क्षमता आ जाती है । यह शक्ति साधक की रक्षा करती है और मार्गदर्शन भी करती है ।
यह डाकिनी साधक के सामने लगभग काली के ही रूप में अवतरित होती है । इसका स्वरुप अति उग्र हो जाता है । इस रूप में माधुर्य, कोमलताका अभाव होता है । सिद्धि के समय यह पहले साधक की ये बहुत परीक्षा लेती है ।साधक कि हर तरीके से आजमाती है । उसे डराती भी है । फिर तरह तरह के मोहक रूपों में साधकको भोग के लिए प्रेरित करती है । यद्यपि मूल रूप से यह उग्र और क्रूर शक्ति है । भ्रम उत्पन्न और लालच के लिए ऐसा कर सकती है । इसके भय और प्रलोभन से साधक बच गया तो सिद्ध का मार्ग आसान हो सकती है ।
मस्तिष्क को शून्य कर के या पूर्ण विवेकको त्यागकर निर्मल भाव में डूबकर ही साधना पुर्ण किया जा सकता है । डाकिनी और काली में व्यावहारिक अंतर है । जबकि यह शक्ति कालीके अंतर्गत ही आती है । इस शक्तिको जगाना अति आवश्यक है ।
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महायोगी राजगुरु जी 《 महायोगी अघोराचार्य 》
तंत्र मंत्र यंत्र ज्योतिष विज्ञान अनुसंधान संस्थान
महाविद्या आश्रम (राजयोग पीठ )फॉउन्डेशन ट्रस्ट
(रजि.)
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व्हाट्सप्प न०;- 09958417249 और कापालिकों में अति प्रचलित है ।
यह बहुत शक्तिशाली शक्ति है । और सिद्ध हो जाने पर साधक का मार्ग आसान हो जाता है । यद्यपि साधना में थोड़ी सी चूक होने अथवा साधक के साधना समय में थोडा सा भी कमजोर पड़ने पर वह शक्ति साधकको ख़त्म कर देती है । यह भूत-प्रेत- पिशाच-ब्रह्म-जिन्न आदि उन्नत शक्ति होती है । यह कभी-कभी खुद किसी पर कृपा कर सकती है । और कभी किसी पर स्वयमेव आसक्त भी हो जाती है । इसके आसक्त होने पर सव काम रुक जाता है और उसका विनास होने लगता है ।
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