Temporary injunction (अस्थायी निषेधाज्ञा)
Автор: Adv. Madhu Gupta
Загружено: 2025-11-30
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Описание: Temporary injunction (अस्थायी निषेधाज्ञा) तब लगाई जाती है जब न्यायालय समझता है कि मामले की सुनवाई के दौरान किसी पक्ष को अपूरणीय क्षति होने का खतरा हो और सुविधा का संतुलन उस पक्ष के पक्ष में हो। अस्थायी निषेधाज्ञा लगने की प्रमुख शर्तें होती हैं:प्रथम दृष्टया मामला वादी के पक्ष में होना चाहिए, यानी प्रथम जांच में उसका पक्ष मजबूत प्रतीत हो।वादी को अपूरणीय (असाधारण, जिसे आर्थिक मुआवजे से पूरा नहीं किया जा सकता) क्षति हो सकती हो, यदि injunction नहीं दिया गया तो।सुविधा का संतुलन वादी के पक्ष में होना चाहिए, अर्थात injunction देने से नाराज़ पक्ष को होने वाली असुविधा कम हो।इन शर्तों के आधार पर न्यायालय अस्थायी निषेधाज्ञा जारी करता है ताकि विवादित संपत्ति या विषय को सुनवाई पूरी होने तक सुरक्षित रखा जा सके और पक्षकारों को न्याय दिलाया जा सके। ऐसी injunction का उद्देश्य मुकदमे के दौरान विवाद की स्थिति को इसी तरह बनाए रखना होता है।यह आदेश भारतीय सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 39 के नियम 1 और 2 के तहत आता है। यदि इनमें से किसी एक की पूर्ति नहीं होती तो न्यायालय अस्थायी निषेधाज्ञा नहीं देगा।अस्थायी निषेधाज्ञा के कुछ मुख्य कारण हो सकते हैं जैसे कि संपत्ति को नुकसान से बचाना, विवादित संपत्ति को कब्जे में रखना, या किसी पक्ष द्वारा कानूनी अधिकारों का उल्लंघन रोकना।इस प्रकार, जब न्यायालय यह सुनिश्चित करे कि मामला प्राथमिक रूप से पक्षकार के पक्ष में है, उसे अपूरणीय क्षति हो सकती है, और सुविधा संतुलन उसके पक्ष में है, तब अस्थायी निषेधाज्ञा लगाई जाती है। #shortvideo #temporary #injunction #advocate #bihar #biharnews #youtube #2025 #advocate
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