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सिविल केस की रिवीजन है, उसमे हाई कोर्ट क्या दोनों पक्षों को सुनवाई का अवसर देती है।

क्या हाई कोर्ट सिविल केस के रिवीजन में दोनों पक्षों को सुनती है।

#parameter of law

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अभियुक्त को सुनवाई का अधिकार नहीं

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Автор: Parameter of law

Загружено: 2024-03-18

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Описание: इस वीडियो में जो बताया जा रहा है, कि हाई कोर्ट में चाहे रिट पीटी शन ,रिव्यू हो, एप्लीकेशन हो, अपील हो, सिविल रिवीजन , इन सभी मामलों में हाईकोर्ट दोनो पार्टीज को सुनने के बाद ही फैसला देती है। क्योंकि प्राकृतिक न्याय का यह सिद्धांत है कि दूसरे पक्ष को सुना जाए निश्चित तौर पर विपक्षी को भी सुना जाता है उसके लिए नोटिस एडमिशन हियरिंग के बाद फाइनल हियरिंग में दोनों पक्षों को डिटेल में सुनकर फैसला पारित किया जाता है।
जहां तक मामले को एडमिट करने का प्रश्न है,यह हाई कोर्ट का अधिकार है कि यदि हाई कोर्ट या प।ता है, कि केस में मेरिट पर सुनने लायक कोई मुद्दा नहीं है, तो ऐसी स्थिति में मामले में गुणवत्ता नहीं होने के कारण हाई कोर्ट मोशन में उसे मामले को डिसमिस करदेती है।
एडमिशन हियरिंग स्टेज पर ही ऐसी मामले को हाई कोर्ट मोशन में ही फाइनल डिस्पोजल कर देती है।
सामान्य रूप से हाई कोर्ट मोशन में एडमिट करके मैं मामले को मेरिट पर लगा देती है।
हाई कोर्ट एक्सेप्शनली सरकमस्टेंसस में विरुद्धार्थी के केस को यदि उसे लगता है कि मामले में मेरिट है, तो वह दोनों पक्षों की बात सुनकर फाइनल हियरिंग के बाद फैसलादेती है, हो सकता है मेरिट पर सुननेके बाद हाई कोर्ट उस कैस में गुणवत्ता ना पाए।
कैस एडमिट करने के बाद फाइनल हियरिंग आने में कितना समय लगेगा यह नहीं कहा जा सकता है।
कई बार उचित कारणों के आधार पर के आधार पर एप्लीकेशन लगाकर यदि हाईकोर्ट संतुष्ट होता है ,तो ऐसे मामले में सुनवाई कर सकता है ।
वैसे हाई कोर्ट पहले से ही केसेस के मामले में ओवरर्बर्डेन और यदि पहले से किसी केस में स्टे आर्डर मिला हुआ है, ऐसी स्थिति में इंटिरिम ऑर्डर को प्रकरण की परिस्थितियों को देखते हुए ड्यू कोर्स में या तो अंतिम निराकरण तक या फिर किसी भी स्टेज पर स्टे को खारिज कर सकता है।
#क्या हाई कोर्ट सिविल केस के रिवीजन में भी दोनों पक्षों को सुनती है
#parameteroflaw

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सिविल केस की रिवीजन है, उसमे हाई कोर्ट क्या दोनों पक्षों को सुनवाई का अवसर देती है।

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