अस्थमा (Asthma)बीमारी के लक्षण,कारण,इलाज/What is Asthma/अस्थमा या दमा क्या है और इसके लक्षण- Ep.485
Автор: Galaxy Youtube Channel
Загружено: 2024-04-28
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अस्थमा (Asthma)बीमारी के लक्षण,कारण,इलाज/What is Asthma/अस्थमा या दमा क्या है और इसके लक्षण ।
दमा (अस्थमा) ऐसा मर्ज है, जो बच्चों से लेकर किसी भी आयुवर्ग के व्यक्ति को अपनी गिरफ्त में ले सकता है। बढ़ते प्रदूषण और अनेक कारणों से दमा का मर्ज पूरी दुनिया में तेजी से फैलता जा है। यह सच है कि दमा को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है....।
अस्थमा (दमा) एक ऐसा रोग है, जिसमें रोगी की सांस नलियों में कुछ कारणों के प्रभाव से सूजन आ जाती है। इस कारण रोगी को सांस लेने में कठिनाई होती है। जिन कारणों से दमा की समस्या बढ़ती है, उन कारणों को एलर्जन्स कहते हैं। ऐसे कारणों में धूल (घर या बाहर की) या पेपर की डस्ट, रसोई का धुआं, नमी, सीलन, मौसम परिवर्तन, सर्दी-जुकाम, धूम्रपान, फास्टफूड, मानसिक चिंता, व्यायाम, पालतू जानवर और फूलों के परागकण आदि प्रमुख होते हैं।
ग्लोबल बर्डन ऑफ अस्थमा की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार विश्व में लगभग 30 करोड़ लोग दमा से पीडित हैं। भारत में यह संख्या लगभग 3 करोड़ है। दो तिहाई से अधिक लोगों में दमा बचपन से ही प्रारम्भ हो जाता है। इसमें बच्चों को खांसी होना, सांस फूलना, सीने में भारीपन, छींक आना व नाक बहना और बच्चे का सही विकास न हो पाना जैसे लक्षण प्रकट होते हैं। शेष एक तिहाई लोगों में दमा के लक्षण युवा अवस्था में प्रारम्भ होते हैं। इस तरह दमा बचपन या युवावस्था में ही प्रारम्भ होने वाला रोग है।
दमा का पता अधिकतर लक्षणों के आधार पर भी किया जाता है। एक परीक्षण सीने में आला लगाकर और म्यूजिकल साउंड (रॉन्काई) सुनकर किया जाता है। इसके अलावा फेफड़े की कार्यक्षमता की जांच (पी.ई.एफ.आर. और स्पाइरोमेट्री) द्वारा की जाती है। अन्य जांचों में रक्तकी जांच, छाती और पैरानेजल साइनस का एक्सरे किया जाता है।
दमा का उपचार आमतौर पर इनहेलर से होता है, जो दमा की दवा लेने का सर्वश्रेष्ठ और सबसे सुरक्षित तरीका है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इनहेलर के जरिये दवा व्यक्ति के फेफड़ों तक पहुंचती है और यह तुरंत असर दिखाना शुरू कर देती है। यह ध्यान देने योग्य है कि इनहेलेशन थेरेपी में, सीरप और टैब्लेट्स की तुलना में 10 से 20 गुना तक कम खुराक की जरूरत होती है और यह अधिक प्रभावी होती है।
1. रिलीवर इनहेलर- ऐसे इनहेलर जल्दी से काम करके सांस नलिकाओं की मांसपेशियों का तनाव ढीला करते हैं और तुरन्त असर करते है। इनको सांस फूलने पर लेना होता है।
2. कंट्रोलर इनहेलर- ये सांस नलियों में सूजन घटाकर उन्हें अधिक संवेदनशील बनने से रोकते हैं और दमा के गंभीर दौरे का खतरा कम करते है। इनको लक्षण न होने पर भी लगातार लेना चाहिए।
दमा के इलाज में अनेक व्यक्तियों को टैब्लेट्स की जरूर ऐसा इसलिए, क्योंकि इनहेलर सामान्यतः अच्छी तरह से कार्य करते हैं। बावजूद इसके कुछ मामलों में यदि दमा से पीडित व्यक्ति में कुछ लक्षण मौजूद रहते हैं, तो इनहेलर के अलावा टैब्लेट लेने की भी सलाह दी जाती है कभी-कभी तीव्र (एक्यूट) दमा के दौरे को कम करने के लिए स्टेरॉइड टैब्लेट थोड़े वक्त के उपचार के लिए दी जाती हैं। वस्तुतः कुछ लोगों में लक्षण सिर्फ इसलिए मौजूद रहते हैं क्योंकि वे अपने इनहेलर का प्रयोग ठीक प्रकार से नहीं करते हैं। इसलिए इनहेलर का ठीक प्रकार से इस्तेमाल करना अपने डॉक्टर से सीखें।
डाक्टर वैभव गुप्ता
सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट
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