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चक्र साधना विज्ञान | CHAKRA Science - Gupt Navratri Day 06 on 16 July 2021

Автор: Navratri Sadhna @ Sasaraam

Загружено: 2021-07-15

Просмотров: 283

Описание: 🌕 PANCHKOSH SADHNA - Gupt Navratri Sadhna - Online Global Class - 16 Jul 2021 (5:00 am to 06:30 am) - Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह

🙏ॐ भूर्भुवः स्‍वः तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्‌|

📽 Please refer to the video uploaded on youtube.

📔 SUBJECT: CHAKRA SCIENCE

📡 Broadcasting: आ॰ नितिन जी

🌞 श्रद्धेय लाल बिहारी बाबूजी

🙏 'तंत्र साधना' का सीधा संबंध 'चेतना' @ चित्त शक्ति से है। इसका उद्देश्य पंचकोश अनावरण और कुण्डलिनी जागरण उन्नयन है। विशुद्ध चित्त से peace & bliss लभ्य होते हैं। System को ही तंत्र कहते हैं। System for controlling and coordination.

🙏 कुण्डलिनी जागरण को प्राण के उर्ध्वगमन अर्थात् प्राण विद्युत (प्राणाग्नि, जीवाग्नि, योगाग्नि, आत्माग्नि व ब्रह्माग्नि) के जागरण से समझ सकते हैं। पंचकोशी साधना व कुण्डलिनी जागरण का समन्वय साधना को समग्र रूप प्रदान करते हैं। फलतः साधक का व्यक्तित्व चरित्र, चिंतन व व्यवहार के धनी अर्थात् 'उत्कृष्ट चिंतन आदर्श चरित्र व शालीन व्यवहार' के रूप में परिलक्षित होते हैं।

🙏 सुषुम्ना संस्थान में अवस्थित 6 चक्र:
🌸 1. मूलाधार चक्र - तत्त्व पृथ्वी। रंग - पीला। तन्मात्रा - गंध। ध्वनि - लं। भूलोक। स्थान मल मूत्रों के छिद्र मध्य। प्रतीकात्मक जीव - कच्छप (अलंकारिक)। आध्यात्मिक उपलब्धि - शम (शान्ति - उद्वेगों का शमन)।
🌸 2. स्वाधिष्ठान चक्र - तत्त्व जल। रंग - सफेद। तन्मात्रा - रस। ध्वनि - वं। भुवः लोक। स्थान पेडू के सीध। प्रतीकात्मक जीव - मत्स्य (अलंकारिक)। आध्यात्मिक उपलब्धि - दम (इन्द्रिय निग्रह)।
🌸 3. मणिपुर चक्र - तत्त्व अग्नि। रंग - लाल। तन्मात्रा - रूप। ध्वनि - रं। स्वः लोक। स्थान नाभि के सीध। आध्यात्मिक उपलब्धि - उपरति (विषयों से निवृत्ति)।
🌸 4. अनाहत चक्र - तत्त्व वायु। रंग - धूम्र। तन्मात्रा - स्पर्श। ध्वनि - यं। महः लोक। स्थान हृदय के सीध। प्रतीकात्मक जीव - हिरण (अलंकारिक)। आध्यात्मिक उपलब्धि - तितीक्षा (धैर्यपूर्वक प्रतिकूलताओं को सहन करना )।
🌸 5. विशुद्धि चक्र - तत्त्व आकाश। रंग - नीला। तन्मात्रा - शब्द। ध्वनि - हं। जनः लोक। स्थान कंठ मूल के सीध। प्रतीकात्मक जीव - हाथी (अलंकारिक)। आध्यात्मिक उपलब्धि - श्रद्धा (सन्मार्ग पर हमें चलाओ जो है सुखदाता @ निष्ठा - विश्वास)।
🌸 6. आज्ञा चक्र - तपः लोक। ध्वनि - ॐ। रंग - श्वेत। स्थान - भृकुटियों के मध्य। आध्यात्मिक उपलब्धि - समाधान (वासना, तृष्णा व अहंता - शांत)।
🌸 सहस्रार चक्र - सत्य लोक। आकृति सहस्र दल कमल। रंग - स्वर्णिम। मस्तिष्क मध्य Reticular activating system से इसकी संगति बैठती है। आध्यात्मिक उपलब्धि - अखंडानंद।

🙏 आध्यात्मिक वैज्ञानिक विश्लेषण PPT

🙏 सहस्रार चक्र की साधना से चिन्तन को उत्कृष्ट और मूलाधार चक्र से आचरण को आदर्श बनाया जाता है। चक्र वेधन से साधक का चिंतन - उत्कृष्ट, चरित्र - आदर्श/ प्रखर और परिणीति शालीन व्यवहार के रूप में देखी जा सकती हैं। चक्रों के अवरोध - वासना, तृष्णा, अहंता व उद्विग्नता तो अनुदान - peace & bliss (शम, दम, उपरति, तितीक्षा, श्रद्धा, समाधान व अखंडानंद)।

🌞 जिज्ञासा समाधान

🙏 विचारों को electric magnetic radiations के रूप में समझा जा सकता है। सुक्ष्मता में शक्ति बढ़ती जाती हैं। वाणी - बैखरी से प्रभावी मध्यमा, मध्यमा से प्रभावी परा एवं परा से प्रभावी पश्यन्ती हैं। तीन अन्तःकरण रूपी गुफा में छिपी रहती है चौथी बैखरी ही बोलने में प्रयुक्त होती है।

🙏 'वासना, तृष्णा व अहंता' तीन गांठें फोड़ने (ग्रंथि भेदन) के पश्चात ही उद्विग्नता शांत (भावातीत - भाव समाधि) लभ्य होते हैं। ससीम (संकीर्ण स्वार्थपरता - आसक्ति) से असीम (परमार्थ @ अनासक्त @ निःस्वार्थ प्रेम @ आत्मीय) की यात्रा है। व्यष्टि भाव को समष्टि भाव में समर्पण - विलय - विसर्जन से बात बनती है।

🙏 'चित्त' को मन व बुद्धि के मिश्रण के रूप में समझ सकते हैं। इसे आदत, अभ्यास, स्वभाव व संस्कार आदि के रूप में भी समझा जा सकता है। मन के आसक्ति के अनुरूप बुद्धि के निर्णय क्षमता से गुजरकर जो कार्य बारंबार किये जाते हैं वो हमारे आचरण @ व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाते हैं। गायत्री साधना से चित्त परिष्कृत हो जाता है। अंतरंग परिष्कृत व बहिरंग सुव्यवस्थित - अध्यात्म है। समस्याएं अनेक, समाधान एक - अध्यात्म।

🙏 नायमात्मा प्रवचनेन लभ्यो न मेधया न बहुना श्रुतेन। यमेवैष वृणुते तेन लभ्यः तस्यैष आत्मा विवृणुते तनूँ स्वाम्॥1-II-23॥ अर्थात् यह आत्मा न प्रवचन से, न बुद्धि से और न बहुत सुनने से ही प्राप्त हो सकता है । जिसको यह स्वीकार कर लेता है उसके द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है । उसके प्रति वह आत्मा अपने स्वरुप को प्रकट कर देता है ॥२३॥

🙏 जप - ध्यान @ तप - योग आदि की पूर्णता 'सायुज्य' (श्रद्धा - निष्ठा, समर्पण - विलय विसर्जन) में है। श्रद्धावान् लभते ज्ञानं। श्रद्धया सत्य माप्यते।

🙏 ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।।

✍️ Writer: Vishnu Anand 🙏

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