मृग मरीचिका एक भ्रम।
Автор: Amitkfacts
Загружено: 2024-10-12
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इसे हम ऐसे समझ सकते है जब मृग प्यासा होता है तब राजस्थान में बालू ही बालू है जो धूप में चमकने के कारण पानी सा दिखता है, हिरन जब वहां पहुचता है तो वो बालू दिखने लगता है और फिर दूर का बालू पानी। इसे ही मृग मरीचिका या मृगतृष्णा भी कहा जाता है।
जैसा की आप उपरोक्त चित्रानुसार (mirage effect on road) समझ सकते है मरीचिका एक प्रकार का वायुमंडलीय दृष्टिभ्रम है, जिसमें प्रेक्षक अस्तित्वहीन जलाश्य एवं दूरस्थ वस्तु के उल्टे या बड़े आकार के प्रतिबिंब तथा अन्य अनेक प्रकार के विरूपण देखता है।
वस्तु और प्रेक्षक के बीच की दूरी कम होने पर प्रेक्षक का भ्रम दूर होता है, वह विरुपित प्रतिबिम्ब नहीं देख पाता। गरम दोपहरी में सड़क पर मोटर चलाते समय किसी सपाट ढालवीं भूमि की चोटी पर पहुँचने पर, दूर आगे सड़क पर, पानी का भ्रम होता है। यह मरीचिका का दूसरा सुपरिचित स्वरूप है।
उपरोक्त घटना की व्याख्या प्रकाश के अपवर्तन के सिद्धांत के आधार पर की जाती है। जब पृथ्वी की सतह से सटी हुई हवा की परत गरम हो जाती है, तब वह विरल हो जाती है और ऊपर की ठंढी परतों की अपेक्षा कमअपवर्तक (refracting) होती है।
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