कबीर
Автор: सनातन दिव्यता (Sanatan Divyata ) by PADAM GUPTA
Загружено: 2025-10-29
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कबीर साहेब जी का प्रकट धरती पर भारत वर्ष की पावन भूमि काशी में हुआ था। कबीर सागर के अनुसार उनका सशरीर प्रकट सन 1398 (संवत 1455), में ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को ब्रह्ममूहर्त के समय लहरतारा तालाब में कमल पर हुआ था।[7] जहां से नीरू नीमा नामक दंपति उठा ले गए थे । उनकी इस लीला को उनके अनुयायी कबीर साहेब प्रकट दिवस के रूप में मनाते हैं।[7] वे जुलाहे का काम करके निर्वाह करते थे। कबीर को अपने सच्चे ज्ञान का प्रमाण देने के लिए जीवन में 52 कसौटी से गुजरना पड़ा। यानी 52 बार उनको मारने का असफल प्रयास किया गया लेकिन उनको कोई भी मार नहीं पाया, क्योंकि वे ही तो पूर्ण ब्रह्म हैं, सर्व सृस्टि रचनहार हैं।
ऐसे कबीर की साखी-सूजा सोई सराहये-६ सें आगे
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