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अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्॥
Автор: Ashwani Sharma
Загружено: 2023-07-04
Просмотров: 6598
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इस श्लोक का हिंदी में अनुवाद है:
"जो भक्त मुझे अनन्य भाव से चिन्तन करते हैं, मुझे ही अपने उपासना का विषय बनाते हैं, और जो नित्य भक्तिभाव से युक्त रहते हैं, मैं उनकी योगक्षेम की चिंता करता हूँ।"
यह श्लोक भगवान श्रीकृष्ण द्वारा उन भक्तों को संबोधित करते हुए कहा गया है जो उन्हें सच्चे भाव से स्मरण करते हैं और उन्हें अपनी उपासना का विषय बनाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण यहां कहते हैं कि वे अपने भक्तों के योगक्षेम (उनके संभाल की चिंता और सुरक्षा) का ध्यान रखते हैं और उन्हें संयम की वृद्धि करते हैं। यह श्लोक भक्ति और निष्ठा का महत्व प्रकट करता है और भक्ति मार्ग को प्रशस्त करता है।
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