The Last Auto Rickshaw Ride in Kolkata… जहाँ 1:30 AM के बाद बैठने वाला कभी वापस नहीं आया
Автор: GHOSTER TALES
Загружено: 2025-12-13
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The Last Auto Rickshaw Ride in Kolkata… जहाँ 1:30 AM के बाद बैठने वाला कभी वापस नहीं आया
1:30 AM.
Kolkata. Central Avenue के पास की खाली सड़क।
शहर जाग रहा था… लेकिन यह सड़क नहीं।
तन्मय को लगा उसने बस एक ऑटो रोका है।
घर जाने के लिए।
रोज़ जैसा।
लेकिन जैसे ही वो उस काले-पीले ऑटो में बैठा…
हवा अचानक ठंडी हो गई।
इतनी ठंडी कि साँस से धुआँ निकलने लगा।
ऑटो में मीटर नहीं चल रहा था।
रेड लाइट बार-बार अपने आप झपक रही थी।
और ड्राइवर…
पीछे शीशे में एक बार भी नहीं देख रहा था।
चेहरा आधा गमछे से ढका।
आँखें धँसी हुई।
और साँसें…
बहुत ज़्यादा ठंडी।
सड़कें बदलने लगीं।
भीड़ गायब।
लाइटें एक-एक कर बुझती गईं।
और शहर…
पीछे छूटता चला गया।
तन्मय ने रास्ता बताया—
लेकिन ऑटो गलत मोड़ पर मुड़ गया।
“भइया… ये रास्ता गलत है।”
ड्राइवर ने जवाब नहीं दिया।
सिर्फ गर्दन हिलाई।
बहुत धीरे।
ऐसे जैसे हड्डियाँ जाम हो चुकी हों।
फिर उसने बोला—
बहुत धीमे।
“सही रास्ता यही है… बाबू…”
मीटर के पास
सूखे खून जैसे दाग।
सीट पर
नाखूनों के खरोंच।
और तभी—
तन्मय ने शीशे में देखा।
ड्राइवर की आँखें…
लाल नहीं थीं।
काली भी नहीं।
पूरी तरह सफ़ेद।
जैसे किसी मरे हुए आदमी की।
ऑटो अचानक रुक गया।
बीच सुनसान सड़क।
कोई आवाज़ नहीं।
कोई गाड़ी नहीं।
ड्राइवर उतरा।
लेकिन उसके कदमों की आवाज़ ज़मीन पर नहीं पड़ी।
जैसे वो चल नहीं…
फिसल रहा हो।
उसकी परछाई नहीं थी।
और फिर उसने कहा—
“मेरी आख़िरी सवारी भी…
इसी जगह उतरी थी।”
हवा और ठंडी हो गई।
पेड़ हिलना बंद।
शहर गायब।
ड्राइवर धीरे-धीरे पास आया।
उसकी गर्दन टेढ़ी थी।
ऐसी जैसे कभी टूटी हो।
“उस रात…
ऑटो पलट गया था।”
“मैं…
और सवारी…
दोनों मर गए थे।”
तन्मय भागा।
लेकिन सड़क खिंचने लगी।
जितना आगे भागता—
उतनी ही लंबी।
पीछे वही आवाज़—
“रुक जाओ…
अब तुम्हारी बारी है…”
अचानक सामने
एक हेडलाइट।
उम्मीद।
तेज़ रोशनी।
कानों में सीटी।
और फिर—
अंधेरा।
अगली सुबह
तन्मय सड़क किनारे मिला।
बेहोश।
अकेला।
कोई ऑटो नहीं।
कोई ड्राइवर नहीं।
लेकिन पुलिस ने बताया—
पाँच साल पहले
इसी सड़क पर
एक ऑटो ड्राइवर
और उसकी आख़िरी सवारी
कभी घर नहीं पहुँचे थे।
तन्मय आज भी कहता है—
Kolkata में
1:30 AM के बाद
अगर कोई ऑटो
खुद रुक जाए…
तो मत बैठना।
क्योंकि कुछ ऑटो
घर नहीं छोड़ते…
वो
अपनी जगह
किसी और को बैठाने आते हैं।
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HOOK TAGLINES
• 1:30 AM के बाद यह ऑटो खुद रुकता है
• ड्राइवर ज़िंदा नहीं था
• इस सवारी से कोई वापस नहीं आता
• कोलकाता की सबसे डरावनी रात
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