🔥 माता पार्वती कैसे बनीं काली माता🔥
Автор: Satya hi Sanatan hai
Загружено: 2025-07-20
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माता पार्वती कैसे बनीं काली माता – पूरी कथा संक्षेप में:
माता पार्वती के काली रूप में प्रकट होने की कथा अत्यंत प्रेरणादायक और रहस्यमयी है। यह कहानी देवी के भीतर छिपी शक्ति, रौद्रता और संसार की रक्षा हेतु लिया गया एक अत्यंत गंभीर निर्णय दर्शाती है।
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🌑 कथा की शुरुआत:
एक बार की बात है — देवता, ऋषि-मुनि और संपूर्ण पृथ्वी शुंभ और निशुंभ नामक दो राक्षस भाइयों के आतंक से त्रस्त थी। इन राक्षसों को ब्रह्मा जी से वरदान मिला था कि उन्हें कोई पुरुष नहीं मार सकता। वे अजेय हो गए थे।
देवताओं ने माता पार्वती से प्रार्थना की कि वे इस संकट से मुक्ति दिलाएँ।
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🔥 माता का तेज प्रकट होता है:
माता पार्वती एक दिन हिमालय पर स्नान कर रही थीं। उसी समय उनके शरीर से एक दिव्य, तेजस्वी, काली रंग की शक्ति निकली — जो उनका अधिभौतिक, उग्र रूप थी। यही शक्ति बाद में काली माता कहलायी।
माता पार्वती ने अपने इस रौद्र रूप को स्वयं की छाया (छाया रूप) के रूप में अलग किया। यह रूप रौद्र, अत्यंत शक्तिशाली और विनाशकारी था।
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⚔️ काली माता का तांडव और युद्ध:
काली माता ने चंड-मुंड नामक राक्षसों का वध किया।
चंड-मुंड के वध के बाद, उन्हें "चामुंडा" नाम दिया गया।
फिर उन्होंने शुंभ-निशुंभ का वध भी किया।
युद्ध के दौरान, काली माता इतनी उग्र हो गईं कि उनका तांडव नियंत्रण से बाहर होने लगा। वे संसार को ही नष्ट करने को अग्रसर हो गईं।
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🕉️ भगवान शिव का समाधान:
जब काली माता का क्रोध शांत नहीं हुआ, तो भगवान शिव ने उन्हें रोकने के लिए एक युक्ति निकाली। वे उनके सामने एक बालक रूप में लेट गए। जब काली माता ने उन्हें देखा और गलती से अपने प्रिय शिव पर पैर रख दिया — तभी उन्हें होश आया और उनका क्रोध शांत हुआ।
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🌺 संदेश और प्रतीक:
माता पार्वती का काली बनना दर्शाता है कि हर सौम्य शक्ति के भीतर एक उग्र रूप छिपा होता है, जो अन्याय और अधर्म के समय प्रकट होता है।
काली माता हमें यह भी सिखाती हैं कि शक्ति तब तक कल्याणकारी है जब तक वह संतुलित है।
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