गुंसाईजीवधाईहेलीरसमयश्रीवल्लभसुतप्रगटभयेस्वरश्रीविठ्ठलदासबापोदरारागतोडीतालचौताल हवेलीसंगीतसरलपुष्टि
Автор: Manhar Bapodara
Загружено: 2025-12-08
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गुंसाई वधाई हेली रसमय श्री वल्लभ सुत प्रगट भये स्वर श्री विठ्ठलदास बापोदरा राग तोडी ताल चौताल हवेली संगीत सरल पुष्टि भक्ति संगीतसरल पुष्टि भक्ति संगीत पुष्टि यमुने भजो @manharbapodara9902
हेली रसमय श्री वल्लभ सुत प्रगट भये अंग अंग द्वितीय तरंग
मधुरावली केली प्रसंग दृग विशाल भ्रोह भाल कमनीय साज ||१||
लीला रस अमृत रसाल, प्रेम भक्ति के प्रतिपाल, स्मरण करे निहाल, भावकी बांधे पाज || पदमनाभ वागधीशकुंवर, केलीकल अखिल, अवगाहत, प्रेम सिंधु व्रजजन शिरताज ।।२।। ભાવાર્થ
હે સખી !આજે તો આનંદની હેલી છે કે રસમય શ્રી વલ્લભ સુત પ્રગટ થયા.અંગો અંગમાં ભગવદ્ લીલા પ્રકાશની ધ્રુતીઓના તરંગો ઉઠી રહ્યા છે.પ્રભુ અને ગોપીજનોના સંયોગ રસ રમણની મધુર લીલાઓથી શ્રી અંગ ભરપુર છે.
નેત્રો માં રસ વિલાસી રહ્યો છે.લીલા અમૃત રસાલ પ્રેમ ભક્તિના તેઓ પ્રતિપાલ સ્મરણ માત્રથી રસ સાગરમાં વિહાર કરવાનું દાન આપે છે.ભાવની પાજ બાંધી છે.
પદ્મનાભદાસજી કહેછેકે વાગ્ધિશ પ્રભુના કુંવર શ્રી વિઠઠલેશ સ્વયં સેવા સાગર પ્રેમ સાગરમાં વિહાર કરી રહ્યાં છે.જેઓ શ્રી વ્રજ્જનોના શિરતાજ છે.
पद — भावार्थ और सरल अर्थ
पंक्ति १) “हेली रसमय श्री वल्लभ सुत प्रगट भये आज, …
हेली रसमय।” भावार्थ :
आज अत्यन्त आनंद का दिन है, वल्लभाचार्य जी के सुकोमल पुत्र का प्राकट्य हुआ है।
चारों ओर आनंद, रस और उत्सव का माहौल बन गया है।
भक्तजन "हेली" (जय-घोष) करते हुए जन्मोत्सव मना रहे हैं।
कठिन शब्द : • हेली – हे! देखो; जय-घोष, उत्सव का पुकार • रसमय – रस (आनंद) से भरा हुआ • प्रगट – प्रकट, जन्म लेना
पंक्ति २) “अंग अंग द्वितीय तरंग, मधुरावली केली प्रसंग, दृग विशाल, भ्रोह भाल कमनीय साज।”
भावार्थ : भगवान का हर अंग, हर रूप ऐसा प्रतीत होता है जैसे आनंद की दूसरी लहर उठ रही हो।
उनका मधुर रूप, कोमल भाव, बड़ी-बड़ी आँखें, सुंदर भौंहें और आकर्षक ललाट – सब एक अत्यंत मधुर लीला का दृश्य बना रहे हैं।
कठिन शब्द : • द्वितीय तरंग – दूसरी लहर, बढ़ा हुआ आनंद • मधुरावली – मधुर श्रृंखला, मीठे रूप-भाव • दृग विशाल – बड़ी-बड़ी मनमोहक आँखें • भ्रोह – भौंहें • भाल – ललाट (माथा) • कमनीय – सुंदर, देखने योग्य
पंक्ति ३) “लीला रस अमृत रसाल, प्रेम भक्ति के प्रतिपाल, स्मरण करे निहाल, भाव की बाँधे पाज।” भावार्थ : आपकी बाल लीलाएँ अमृतरस से भरी हुई हैं। आप प्रेम और भक्ति के रक्षक एवं पालन करने वाले हैं। आपका स्मरण करने मात्र से भक्त धन्य हो जाते हैं, उनके हृदय भाव-भक्ति से बँध जाते हैं।
कठिन शब्द : • रसाल – रस से पूर्ण, रस देने वाला • प्रतिपाल – रक्षक, पालन करने वाला • निहाल – प्रसन्न, धन्य, आनंदित • पाज – बंधन, डोर, नेह का नाता पंक्ति ४) “पद्मनाभ वागधीशकुंवर, केलीकल अखिल अवगाहत, प्रेम सिंधु व्रजजन शिरताज।”
भावार्थ : वे पद्मनाभ (भगवान) के वंशज, वाणी के स्वामी, दिव्य राजकुंवर हैं। सभी लीला-कलाओं में पारंगत होकर, प्रेम के समुद्र में डूबे हैं और व्रज-भक्तों के सिरमौर, ताज (राजा) बने हैं। कठिन शब्द : • पद्मनाभ – भगवान विष्णु (जिनके नाभि से कमल निकला) • वागधीश – वाणी के स्वामी (सर्वज्ञ, दिव्य उच्चारण वाले) • कुंवर – राजकुमार, प्रिय बालक • केलीकल – लीला, आनंद के खेल • अखिल – सम्पूर्ण, सबकुछ • अवगाहत – डूबा हुआ, संपूर्ण रूप से मग्न • सिंधु – सागर • शिरताज – शिरोमणि,
सर्वोच्च समग्र भाव यह समग्र पद भगवान के जन्म-लीला, माधुर्य, रूप-सौंदर्य और भक्त-भाव का अत्यंत मधुर वर्णन करता है। वल्लभकुल के बाल-स्वरूप की महिमा, रस, प्रेम और भक्ति का वर्णन अत्यंत कोमल एवं मधुर शब्दों में किया गया है।
PUSHTI MARGIY BHAKTI SARAL HAVELI SANGEET
SHREE GUNSAIJI KI VADHAI KA PAD
RAGA :TODI
TAL :CHAUTAL
SING BY SHRI VITHALDAS VALLABHDAS BAPODARA
WRITTEN BY SHREE PADMANABHDASJI
SANKALAN AND PUBLISH BY MANHARLAL VITHALDAS BAPODARA MOBILE NO.9824635506 PLEASE INFORM TO YOUR INTERESTED VAISHNAVAS FOR SUPPORT OF THIS TYPE OF BHAVANATMAK BHAKTI PUSHTI SARAL HAVELI SANGEET
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