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राजस्थान की अमर कविता ‘धरती धोरां री’ उसके रचनाकार श्री कन्हैयालाल जी सेठिया की आवाज़ में...

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Автор: Kavi Gram

Загружено: 2020-07-03

Просмотров: 14244

Описание: पद्मश्री कन्हैयालाल जी सेठिया की आवाज़ में ‘धरती धोरां री’ जैसी महान कविता सुनना ऐसा ही अनुभव है जैसे रेगिस्तान की सुहानी शाम में राबड़ी का भोग लगा लिया हो। भारतीय संस्कृति की धरोहर को सहेजने में सर्वाधिक सफल प्रदेश है राजस्थान। कहते हैं कि यहाँ कविता के नौ रस एक साथ मिलते हैं। इन नौ रसों को एक ही कविता में बांधकर उस पर मारवाड़ी भाषा के हस्ताक्षर करके श्री कन्हैयालाल सेठिया ने अमर कृति का सृजन किया है। इस गीत को अनेक संगीत कंपनियों ने संगीतबद्ध करके प्रसारित किया है, किंतु कविग्राम इस विलक्षण कविता को उसके रचयिता की आवाज़ में आप तक पहुँचा रहा है। संभवतः इंटरनेट की दुनिया को यह सौभाग्य पहली बार मिल रहा है कि श्री कन्हैयालाल जी सेठिया की हस्ताक्षर कविता उन्हीं की आवाज़ में सुनने को मिले।
इस दुर्लभ आॅडियो क्लिप को हम तक पहुँचाने के लिए मैं उनके सुपुत्र डाॅ. जयप्रकाश सेठिया जी का हृदय से आभार व्यक्त करते हैं।

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राजस्थान की अमर कविता ‘धरती धोरां री’ उसके रचनाकार श्री कन्हैयालाल जी सेठिया की आवाज़ में...

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