मां की जमीन पर बेटे का हक खत्म ?
Автор: Aamir100x
Загружено: 2025-10-22
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Описание: मां की जमीन पर बेटे का हक खत्म होने का मतलब यह है कि यदि संपत्ति मां के नाम पर है, तो बेटे का उस संपत्ति पर कोई स्वतः अधिकार नहीं होता, खासकर जब मां जीवित होती है। भारत में संपत्ति कानून के अनुसार, मां की स्व-अर्जित संपत्ति (जो उन्होंने अपनी मेहनत से खरीदी हो) पर उनका पूरा अधिकार होता है और वे अपनी मर्जी से उस संपत्ति को किसी को भी दे सकती हैं। यदि मां ने संपत्ति पर कोई वसीयत नहीं बनाई है और उनकी मृत्यु हो जाती है, तो संपत्ति के कानूनन उत्तराधिकारी यानी पति, बेटे, और बेटियों को समान हिस्सा मिलता है। परंतु जब मां जीवित होती है, तो बेटे का उस जमीन पर कोई स्वतः अधिकार नहीं होता और बिना मां की अनुमति के वह जमीन बेच या उसका हिस्सा नहीं ले सकता।यदि संपत्ति पैतृक (वंशानुगत) नहीं बल्कि मां ने स्वयं अर्जित की हो, तो उस पर बेटों का कोई हक नहीं बनता जब तक मां खुद न चाहें।हालांकि, पैतृक संपत्ति में बेटों और बेटियों को बराबर हक मिलता है। लेकिन मां की नामांकित संपत्ति व्यक्तिगत स्व-अर्जित संपत्ति मानी जाती है, जिसका अधिकार पूरी तरह मां के पास ही होता है।यह नियम परिवार में संपत्ति के विवाद को रोकने और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए हैं। यदि संपत्ति पर विवाद होता है तो परिवार को कानूनी सलाह लेनी चाहिए।संक्षेप में, मां की जमीन पर बेटे का हक तब खत्म माना जाता है जब वह जमीन माँ की स्व-अर्जित संपत्ति हो और मां जीवित हो या उसने संपत्ति का विशेष अधिकार न दिया हो। बेटों को इस जमीन पर अधिकार तभी मिलेगा जब मां की मृत्यु के बाद संपत्ति उत्तराधिकार में आए या वसीयत द्वारा उन्हें हिस्सा मिले। इस प्रकार, मां की जमीन पर बेटे का स्वतः हक खत्म हो सकता है, खासकर जब वह मां की व्यक्तिगत संपत्ति हो और मां अपनी इच्छानुसार उस संपत्ति को नियंत्रित कर रही हो।�����#shorts #knowledge #ips #law #education #students #gk #news
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