प्राचीन भारत कैसा था | History of India | 7 Things To Know About Ancient India History
Автор: TIMELES HISTORY
Загружено: 2022-01-29
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प्राचीन भारत कैसा था | History of India | 7 Things To Know About Ancient India History
पुरातत्व प्रमाण बताते हैं की भारत का शहर वाराणसी दुनिया के सबसे प्राचीन बसाये गए शहरों में से एक है जो आज भी अपने वजूद में है जिसे बनारस कहा जाता है और ऋग्वेद में इसे काशी कहा गया है वैसे बनारस को कम से कम 3000 साल पुराना माना जाता है लेकिन हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार 5000 साल पहले भगवान शिव ने इसकी स्थापना की थी और आपको जानकर हैरानी होगी कि जब ढाई हजार साल पहले भगवान बुद्ध काशी आए थे उस वक्त भी इसे एक ऐतिहासिक शहर कहा जाता था हिंदू धर्म के साथ पवित्र स्थानों में से काशी को सबसे पवित्र स्थान माना जाता है यहां तक कि जैन और बौद्ध धर्म में भी काशी एक पवित्र स्थान है।
तक्षशिला विश्वविद्यालय को दुनिया की सबसे पहली यूनिवर्सिटी माना जाता है इसको ईसा से 700 साल पहले प्राचीन भारत के तक्षशिला शहर में स्थापित किया गया था आजकल यह जगह पाकिस्तान में मौजूद है तक्षशिला में विश्व भर से 10000 से भी ज्यादा छात्र पढ़ा करते थे, साइंस, मैथ, मेडिसिन, फिलोसोफी, पॉलिटिक्स, एस्ट्रोलॉजी, एस्ट्रोनॉमी, म्यूजिक, रिलीजन जैसे 60 से भी ज्यादा विषय यहां पढ़ाये जाते थे अलग-अलग विषयों के शिक्षकों ने अपने आश्रम यहां बना रखे थे हमारे सबसे मशहूर इकोनॉमिस्ट और फिलॉसफर विष्णु गुप्त चाणक्य तक्षशिला में आचार्य थे चाइनीस ट्रैवलर फाहियान पांचवी सदी की शुरुआत में तक्षशिला आए थे तो उन्होंने तक्षशिला को भी विजिट किया था, अपने लेख में उन्होंने तक्षशिला के बारे में भी लिखा है।
सातवीं सदी ईसा ( 7th century B.C) पूर्व से लेकर पांचवी सदी(5th century A.D) तक यह विश्वविद्यालय अच्छी तरह फला फूला छठी सदी आते आते विदेशी हमलावरों ने इस विश्व विश्वविद्यालय को पूरी तरह नष्ट कर दिया।
• शिक्षा के मामले में आज भले ही भारत दूसरे देशों से पीछे हो लेकिन एक समय था जब भारत की नालंदा यूनिवर्सिटी हायर एजुकेशन के लिए दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र हुआ करती थी नालंदा तक्षशिला से भी ज्यादा वेल ऑर्गेनाइज्ड यूनिवर्सिटी थी कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, पारस, और तुर्की जैसे देशों से छात्र यहां पढ़ने आते थे नालंदा यूनिवर्सिटी का एंट्रेंस एग्जाम मुश्किल होता था कुछ चुनिंदा प्रतिभाशाली छात्र ही प्रवेश पा सकते थे।
नालंदा के बारे में आज हमें जो ज्यादा जानकारी मिलती है वह फेमस चाइनीस ट्रैवलर हेनसांग और इतसिंग की राइटिंग से मिलती है जो सातवीं सदी में यहां आए थे हेनसांग ने अपनी भारत यात्रा के 2 साल नालंदा में बिताए थे शुरुआत में वह यहां छात्र की तरह रहे फिर बाद में उन्होंने यहां पढ़ाया भी हेनसांग लिखते हैं कि जब वह नालंदा आए थे तो वहां 10,000 स्टूडेंट थे और 1510 आचार्य थे यह अनुमान लगाया जाता है कि एक समय में हमारे ग्रेट मैथमेटिशियन आर्यभट्ट नालंदा के हेड थे नालंदा में हजारों छात्र और शिक्षकों के लिए एक विशाल लाइब्रेरी थी इस लाइब्रेरी में 300000 से भी ज्यादा किताबें थी 12 वीं सदी के अंत में तुर्की हमलावर बख्तियार खिलजी ने नालंदा को पूरी तरह जलाकर नष्ट कर दिया किसी जमाने में नालंदा एक भव्य यूनिवर्सिटी हुआ करती थी आजकल उसके बस खंडहर ही शेष बचे हैं।
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