Live: श्री बज्रेश्वरी देवी मंदिर | Morning Aarti | शक्तिपीठ | काँगड़ा | सीधा प्रसारण |
Автор: MH One News
Загружено: 2022-11-17
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Live: श्री बज्रेश्वरी देवी मंदिर | Morning Aarti | शक्तिपीठ | काँगड़ा, हिमाचल प्रदेश | सीधा प्रसारण |
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श्री वज्रेश्वरी माता मंदिर जिसे कांगड़ा देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू मंदिर है जो भारत के हिमाचल प्रदेश में, शहर कांगड़ा में स्थित दुर्गा का एक रूप वज्रेश्वरी देवी को समर्पित है। माता व्रजेश्वरी देवी मंदिर को नगर कोट की देवी व कांगड़ा देवी के नाम से भी जाना जाता है और इसलिए इस मंदिर को नगर कोट धाम भी कहा जाता है।ब्रजेश्वरी देवी हिमाचल प्रदेश का सर्वाधिक भव्य मंदिर है। मंदिर के सुनहरे कलश के दर्शन दूर से ही होते हैं. प्रसिद्ध नौ देवी यात्रा मे माँ वज्रेश्वरी के दर्शन तीसरे स्थान पर है माँ वैष्णो से शुरू होने वाली यात्रा मे माँ चामुण्डा देवी, वज्रेश्वरी देवी, ज्वालामुखी देवी, चिंतपूर्णी देवी, नैना देवी बिलासपुर, मनसा देवी पंचकुला, कालिका देवी कालका, शाकम्भरी देवी सहारनपुर आदि शामिल हैं इन मंदिरों की गणना शक्तिपीठों मे होती है
पौराणिक कथा के अनुसार
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती के पिता दक्षेस्वर द्वारा किये यज्ञ कुण्ड में उन्हे न बुलाने पर उन्होने अपना और भगवान शिव का अपमान समझा और उसी हवन कुण्ड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिये थे। तब भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण्ड के चक्कर लगा रहे थे। उसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था और उनके अंग धरती पर जगह-जगह गिरे। जहां उनके शरीर के अंग गिरे वहां एक शक्तिपीठ बन गया। उसमें से सती की बायां वक्षस्थल इस स्थान पर गिरा था जिसे माँ ब्रजेश्वरी या कांगड़ा माई के नाम से पूजा जाता है। इसी प्रकार ज्वाला जी मे जिह्वा गिरने से ज्वाला देवी शक्तिपीठ, नैन गिरने से नैना देवी, चरण गिरने से चिंतपूर्णी, मस्तिष्क का भाग गिरने से मनसा देवी, शीश गिरने से शाकम्भरी देवी, गुल्फ गिरने से भद्रकाली आदि शक्तिपीठों की उत्पत्ति हुई
इतिहास
कहा जाता है कि मूल मंदिर महाभारत के समय पौराणिक पांडवों द्वारा बनाया गया था। किंवदंती कहती है कि एक दिन पांडवों ने देवी दुर्गा को अपने सपने में देखा था जिसमें उन्होंने उन्हें बताया था कि वह नगरकोट गांव में स्थित है और यदि वे खुद को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो उन्हें उस क्षेत्र में उनके लिए मंदिर बनाना चाहिए अन्यथा वे नष्ट हो जाएंगे। उसी रात उन्होंने नगरकोट गाँव में उसके लिए एक शानदार मंदिर बनवाया। 1905 में मंदिर को एक शक्तिशाली भूकंप से नष्ट कर दिया गया था और बाद में सरकार द्वारा इसका पुनर्निर्माण किया गया था।
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