भस्म हुए कामदेव को भगवान शिव ने अशरीरी रुप प्रदान किया | जय गंगा मैया | श्रावण मास कथा
Автор: Tilak
Загружено: 2025-07-18
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जब देवताओं के अनुरोध पर कामदेव भगवान शिव की तपस्या भंग करने का निर्णय लेते हैं, तो उनकी पत्नी रति को शिव जी के रौद्र रूप का भय सताने लगता है। कामदेव उसे समझाते हुए कहते है कि देवताओं के उद्धार के लिए शिव जी में प्रेम अग्नि जागने का खतरा मोल लेना होगा। सृष्टि के कल्याण के लिए कामदेव और रति तपस्या में लीन भगवान शिव के समक्ष शृंगार रस से भरपूर रास लीला आरंभ कर देते हैं। किन्तु यह लीला भी जब शिव जी को विचलित नहीं कर पाती, तो कामदेव अंततः पुष्पबाणों का प्रयोग करते हैं। दुर्भाग्यवश एक बाण शिव के त्रिनेत्र को स्पर्श कर जाता है। इससे शिव का क्रोध भड़क उठता है और उनके त्रिनेत्र से निकली ज्वाला कामदेव को भस्म कर देती है। यह दृश्य देखकर रति और सभी देवता स्तब्ध रह जाते हैं। देवी उमा शिव से कहती हैं कि ब्रह्मा जी के वरदान के अनुसार तारकासुर का वध केवल उन दोनों के पुत्र द्वारा ही संभव है। इसी उद्देश्य से कामदेव ने तपस्या भंग की थी। नारद मुनि भी कहते हैं कि कामदेव के बिना सृष्टि में प्रेम व आकर्षण की भावना समाप्त हो जाएगी। सब देवतागण शिव जी से कामदेव को जीवन दान देने की प्रार्थना करते है। रति दुख से व्याकुल होकर स्वयं को भी भस्म करने की प्रार्थना करती है। तब शिव जी उसे सांत्वना देते हैं कि कामदेव अमर हैं, केवल उनका भौतिक शरीर भस्म हुआ है। देवताओं की प्रार्थना पर शिव कामदेव को अशरीरी रूप में पुनर्जीवित करते हैं और भविष्यवाणी करते हैं कि द्वापर युग में वे भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में जन्म लेंगे, और शंबरासुर वध के समय रति से उनका पुनर्मिलन होगा।
श्रावण मास (सावन का महीना) केवल वर्षा का नहीं, भक्ति, भावनाओं और सौंदर्य का महीना है। इस मास के प्रारम्भ होते ही धरती रिमझिम बारिश से सराबोर होकर हरियाली की चादर ओढ़ लेती है, लगता है जैसे भीनी-भीनी मिट्टी की सुगंध से भरी हुई प्रकृति स्वयं परम आराध्य भगवान शिव शंकर का स्वागत कर रही हो। मंदिरों के घंटे से निकलती धुनें और “हर-हर महादेव” की गूंज वातावरण को भक्तिमय बना देती है। सावन के सोमवार के दिन शिवालयों में शिव भक्तों द्वारा जल, बेल पत्र, दूध और धतूरा और काँवड़ियों द्वारा कोसों दूर से जल लाकर शिव लिंग पर अर्पण करना, भगवान शिव के प्रति उनकी आस्था और समर्पण का प्रतीक हैं। श्रावण मास में भक्त मंदिरों के अलावा अपने घरों में भी रुद्राभिषेक का आयोजन करते है। महिलाओं के लिए यह मास सौंदर्य, श्रृंगार और त्योहारों का प्रतीक होता है। वे मनपसंद फल की कामना से सोलह सोमवार का व्रत रखती है, मेहँदी लगाती हैं, झूले झूलती हैं और लोकगीत गाती हैं। इस प्रकार श्रावण केवल एक मास नहीं, बल्कि आस्था, भक्ति और प्रकृति के सौंदर्य का उत्सव है। आपके प्रिय धार्मिक चैनल तिलक ने आपके लिए भगवान शिव शंकर को समर्पित श्रावण मास विशेष संस्करण संकलित किया है, भक्ति भाव से आनन्द ले और तिलक से जुड़े रहे।
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