नारायण वो ही है जिन्होंने तीन पग से नापा सारा जग था जी | krishna poetry mahabharat | Arg Poetry
Автор: Arg Poetry
Загружено: 2022-05-11
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नारायण वो ही है जिन्होंने तीन पग से नापा सारा जग था जी | krishna poetry mahabharat | Arg Poetry
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महाभारत की मिट्टी से छुपा हुआ इतिहास सुनाता हूं
आज मैं तुम्हे श्री कृष्ण की महिमा बतलाता हूं
धर्म अधर्म में जो फसे मूर्ख है
जरा आंखें खोलो जी
कृष्ण को कहने वाले छलिया जरा अपना चरित्र तुम धो लेना जी
जब जब धरती पे हे अत्याचार बढ़ा
तब तब कृष्ण ने जन्म लिया था जी
सतयुग से कलयुग तक की आज मैं तुम्हे सत्य सुनाऊं गा जी
छलिया कहा है जिसे तुमने उनकी गाथा सुनता हूं
की जल मगन हुई पृथ्वी हरगीर्व का आतंक फेल गया था जी
मतस्त्य अवतार लिया था सबसे पहले
और हयग्रीव से इस धरती से उन्होंने ही मुक्त किया था जी
गाथा ये इतिहास का हमे ये हमे सीखाता है
बुराई चाहें हो कितनी भी शक्तिशाली सत्य ही अंत मे जीत जाता है
हुआ जब समय समुद्र मंथन का देव दानव को भी उस वक्त एक किया था जी
लिया था तब प्रभु ने क्रमू अवतार
और समुंदर मंथन किया था जी
उस मंथन से निकला सवर्ण और अमृत सब ने उससे ही मोह किया था जी
पर जो प्रेम की इच्छा से मंथन किया थे , वो सिर्फ श्री कृष्ण थे जी
हर युग में प्रेम घोला वो परभु से ज्यादा मित्र बने थे जी
प्रलाद हो या अर्जुन वो सभी के हर पल साथ रहे थे जी ।
नरसिंह अवतार लेके एक बार फिर से इस धरती को उन्होने पाप मुक्त किया था जी
उसके अमृत के घमंड को भी चूर चूर किया था जी
किया उन्होंने सभी के घमंड का अंत था
नारायण वो ही है जिन्होंने तीन पग से नापा सारा जग था
बाली हो या हिरायण्य कश्यप डर सारा पापी नर था
जब पाप मुक्त करने स्वयं आया मेरा वो कृष्ण था
जब समय आया त्रेता का तो दुनिया को पितृज्ञान दिया था जी
पितृभक्ति में डूबो श्री राम ने लिया जन्म था जी
रावण का भी अंत किया और अपने पति धर्म के साथ पुत्र धर्म का भी मान रखा था जी
ऐसे ही नही होता हर कोई आदर्श पुरुषुतम श्री राम जी
जब समय आया द्वापर का तब उन्होंने ने ही प्रेम बाटा था जी
राधा संग कृष्ण और इस जग को मित्र धर्म भी सिखलाया था जी
©®Ajay Raj Gupta (Arg poetry)
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