देश दुर्दशा में है - भारत में रहूँ, या छोड़ दूँ? || आचार्य प्रशांत (2024)
Автор: आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant
Загружено: 2024-04-08
Просмотров: 1680676
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देश दुर्दशा में है - भारत में रहूँ, या छोड़ दूँ? || आचार्य प्रशांत (2024)
वीडियो जानकारी: 08.03.24, महाशिवरात्रि विशेष सत्र, ग्रेटर नॉएडा
📋 Video Chapters:
0:00 - Intro
2:18 - सामाजिक मुद्दों पर चर्चा
7:21 - धार्मिकता का असली अर्थ
9:14 - आध्यात्मिकता और आत्मज्ञान
11:40 - भक्ति का सही अर्थ
21:18 - आत्मज्ञान की आवश्यकता
26:15 - संघर्ष और संतुलन का विवरण
29:46 - समापन
35:13 - संदेश
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने भारतीय समाज में धार्मिकता और ज्ञान के मुद्दों पर चर्चा की है। वे बताते हैं कि कैसे भारतीय समाज में धार्मिकता का अर्थ केवल बाहरी आचार-व्यवहार तक सीमित हो गया है, जबकि इसका वास्तविक अर्थ ज्ञान और समझ से जुड़ा है। आचार्य जी ने यह भी कहा कि हमें अपने विवेक का उपयोग करना चाहिए और समाज के दबाव से मुक्त होकर अपने निर्णय लेने चाहिए।
आचार्य जी ने यह भी बताया कि हमें अपनी आंतरिक प्रकृति को समझना चाहिए और इसे दबाने के बजाय स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने यह सुझाव दिया कि हमें अपने जीवन को संतुलित बनाने के लिए दोनों दिशाओं में प्रयास करना चाहिए, न कि किसी एक दिशा में ही ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
प्रसंग:
~ भारत के माहौल को देखकर यहाँ से भाग जाने का मन क्यों करता है?
~ भारत में धर्म के नाम पर चल रहे अंधविश्वास को कैसे रोकें?
~ वास्तव में धर्म क्या है?
~ कैसे समझाएँ कि धर्म का अर्थ अँधी ताक़तों के आगे झुकना नहीं जानना, समझना है?
~ भारत की दुर्दशा को देखकर लगता है भारत का भविष्य खतरे में है
~ देश की दुर्दशा की प्रमुख वजह क्या है?
~ क्या कारण है भारत में इतनी भुखमरी बढ़ती जा रही है?
संगीत: मिलिंद दाते
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